Caution : बदले मौसम में बरते सावधानी, उल्टी-दस्त को गंभीरता से लिया जाए- सीएमएचओ

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राजकुमार मल

Caution : स्वच्छता पर रखें विशेष ध्यान

Caution : बलौदाबाजार- भाटापारा- मानसून के आगमन के साथ ही समुदाय में विभिन्न प्रकार की मौसम जनित बीमारियों भी उत्पन्न होने लगती हैं इसमें मलेरिया,डेंगू,हैजा, टाइफाइड, डायरिया मुख्य हैं।

Caution : इसमें मलेरिया डेंगू तो संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है किंतु हैजा,टाइफाइड, डायरिया गंदगी तथा लापरवाही बरतने के कारण हो सकती है। इसमे डायरिया जिसे आम बोलचाल की भाषा में उल्टी -दस्त भी कहते हैं के कारण पीड़ित व्यक्ति को लगातार पतला दस्त होता है।

Caution : साथ ही साथ पेट में दर्द ,पेट में मरोड़ पेट की सूजन, मितली, प्यास लगना, वजन घटना ,बुखार तथा कुछ केस में मल के साथ रक्त या मवाद भी देखा जाता है। इसमें लगातार उल्टी होना तथा पूरे शरीर में निर्जलीकरण हो जाना भी एक प्रमुख लक्षण है।

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Caution : शून्य से लेकर पाँच साल तक के बच्चों की मृत्यु में डायरिया एक प्रमुख कारण है। इसे ही ध्यान में रखते हुए शासन द्वारा प्रतिवर्ष इस मौसम में गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा भी मनाया जाता है।

Caution : जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एम पी महिस्वर के अनुसार बरसात के मौसम में दूषित जल एवं दूषित खान -पान के कारण व्यक्ति की आँत में संक्रमण हो जाता है जिससे डायरिया पनपता है।

डायरिया में दस्त की पुनरावृति दिन में कई बार हो जाती है जिसके कारण शरीर का पानी मल के साथ बाहर आ जाता है और शरीर में पानी की कमी हो जाती है इसे निर्जलीकरण कहा जाता है।

इस स्थिति में व्यक्ति को बहुत अधिक कमजोरी आती है तथा वह सुस्त और थका हुआ महसूस करने लगता है। उसकी त्वचा सूखने लगती है। शरीर में ऐंठन भी होने लगती है। बच्चों के केस में यह अत्यंत ही खतरनाक हो सकता है।

ज्यादा दस्त आने के कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन हो जाता है तथा जब वह रोते हैं तो उनकी आंखों से आंसू भी नहीं निकलते ऐसा शरीर में पानी की कमी के कारण होता है वह सो भी नहीं पाते।

डायरिया से बचाव के लिए अपने आसपास जल स्रोतों की साफ-सफाई एवं पेयजल को शुद्ध करवाना अति आवश्यक है इसके लिए ब्लीचिंग पाउडर तथा क्लोरीन टेबलेट का भी उपयोग किया जाना जरूरी है।

भोजन से पूर्व हाथ अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। उल्टी दस्त की स्थिति में व्यक्ति को घरेलू स्तर पर नमक चीनी पानी का घोल लगातार दिया जाना चाहिए इसके साथ ही वर्तमान में स्वास्थ्य केंद्रों तथा प्रत्येक गांव में मितानिनों के पास नि शुल्क ओआरएस उपलब्ध है जो घोल बनाकर दिया जाए तो मरीज को राहत मिलती है इसके अतिरिक्त त्वरित रूप से चिकित्सक को दिखाते हुए उनके परामर्श से दी हुई दवाइयों का भी सेवन किया जाना जरूरी है।

डायरिया की बीमारी देखने में तो एक आम बीमारी है परंतु लापरवाही करने पर यह जानलेवा भी हो सकती है। किसी प्रकार की उल्टी दस्त की शिकायत में त्वरित रूप से ओआरएस का घोल लेने के साथ-साथ नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क कर अपना उपचार करवाना अति आवश्यक है।

अगर हम अपने आसपास साफ सफाई का ध्यान रखेंगे तो न केवल डायरिया अपितु मलेरिया, डेंगू,हैजा,टाइफाइड जैसे अन्य मौसम जनित रोगों से भी बचाव हो सकेगा।

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