Breaking जनमंच में नाटक सरु का मंचन हुआ
Breaking रायपुर। छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी के तत्वाधान में आज बुधवार 26 अक्टूबर को जनमंच सड्डू में नाटक सरु का मंचन किया गया। नाटक के माध्यम से किन्नर समुदाय के जीवन के कष्टों का एक हिस्सा दिखाने का प्रयास है। समाज उन सभी से खुशियों का आशीर्वाद तो चाहता है लेकिन सम्मान नही देना चाहता। आज गुरुवार 27 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे स्याही के रंग का मंचन किया जाएगा जिसके निर्देशक रोशनी प्रसाद मिश्र है।
Breaking नाटक सरू की शुरुआत मां शारदा के गीत से होता है उनका जीवन ऐसे ही कट रहा होता है। एक दिन घर लौटते वक्त सुशिला को कूड़े के ढेर में एक बच्चा मिलता है और वह घर ले आती है। जहां अम्मा उसे कहती है हम किन्नरो के बीच मे ये बच्ची क्या करेगी बड़ी होकर हम जैसे ही भीख मांगेगी और कहती है जहां से लेकर आई है वही वापस छोड़ आ।
Breaking दोनों के बीच बहस होती है और अंतत: अम्मा बच्ची को रखने के लिए राजी हो जाती हैं। सब कुछ ठीक चलता रहता है। एक दिन बच्ची स्कूल से घर नही लौटती है तो सब परेशान हो जाते है और सुशिला थाने रिपोर्ट दर्ज करवाने जाती है। वहाँ पुलिस वाला उसे खरी खोटी सुनाता है और कहता है किन्नरों की कब से बच्ची होने लगी।
Breaking फिर थानेदार रिपोर्ट लिखने की लालच देकर सुशिला के साथ जोर जबरदस्ती करता है और बाद में उसे मार पीट कर वहां से भाग देता है। घर जाते वक्त सरू सड़क के किनारे खून से लतपथ पड़ी हुई मिलती है। वो लोग उसे घर ले जाते है और देखते ही देखते सरू की मृत्यु हो जाती है। पूरे घर मे मातम छा जता है अंत मे उन किन्नरों को बच्ची के हत्यारे का पता चलता है और वो उसे मार देती है।
Breaking निर्देशकीय –
नाटक सरू एक सामान्य घटना है जिसे हमने मंच पर पिरो दिया है। किन्नर समुदाय के जीवन के कष्टों का एक हिस्सा दिखाने का प्रयास है। समाज उन सभी से खुशियों का आशीर्वाद तो चाहता है लेकिन सम्मान नही देना चाहता। बराबरी का हक और साथ का कंधा कभी नही देना चाहता है। उनके आंसू मुस्कुराहट के पीछे कही गुम हो जाते है और समाज के तानो को श्रृंगार से छुपा लेती हैं।
Breaking वो खुद अमूमन ये कम हुआ है लेकिन लड़की का पैदा होना आज भी समाज मे त्रासदी से कम नही है। पता चलने पर भ्रूण हत्या या फिर जन्म के बाद किसी कूड़े के ढेर में पाई जाती है। ऐसे ही एक बच्ची को कूड़े के ढेर से अपने घर ले आती हैं। ये किन्नर, पढ़ाती है और उसके लिए सपने संजोती है कि भविष्य में समाज को एक नई दिशा की ओर ले जाएगी।
उसी समाज का एक हिस्सेदार आदमी उस बच्ची का यौन शोषण कर उसे अधमरी हालत में सड़क में फेंक देता है। उसके बाद उसकी मृत्यु हो जाती है ये समाज का गहरा और गाढ़ा स्वरूप है।
मंच पर
सरू-अनुभूति कुंदेर, सावित्री देवी-कमल,सुशीला-बिष्णु कुमार, देवकी – पंकज पुरोहित, गायत्री-ऋषि कुमार,चंपा-साहिल खान, तारा-अनुराग कुमार, गंगा-आकाश, पुलिस-योजन दत्त,चपरासी-सुमन सौरभ।
मंच परे
Deori Tihar CM भूपेश ने गोवर्धन और देवारी तिहार पर सपरिवार किया गौरी-गौरा,गोवर्धन पूजा
लेखक व निर्देशक – शिवनारायण कुंदेर, संगीत परिकल्पना-रोशनी प्रसाद मिश्र, प्रकाश परिकल्पना-रजनीश जायसवाल, वस्त्र विन्यास-प्रजीत साकेत,
प्रापर्टी-राजेश, अवनीश, मंच सज्जा- जगमीत, तनुज, शुभम भारती।