Breaking स्टील रैक से 180 टन ज्यादा परिवहन क्षमता
ईंधन की खपत भी होगी कम
Breaking बिलासपुर। भारतीय रेलवे ने आरडीएसओ, बीईएससीओ और हिंडाल्को की मदद से देश में पहली बार एल्युमिनियम से बनी मालगाड़ी तैयार किया है। इसमें स्टील रैक से 180 टन अधिक माल परिवहन क्षमता है और रीसेल वैल्यू भी 80त्न है। इसके साथ ही आधुनिक पैटर्न पर तैयार इस मालगाड़ी के रैक से ईंधन की खपत भी होगी। इसे मेक इन इंडिया के तहत बनाया गया है। रविवार को केंद्रीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे भुवनेश्वर से हरी झंडी दिखाकर बिलासपुर के लिए रवाना किया।
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Breaking रेलवे के अफसरों ने बताया कि इस रैक का उपयोग कोरबा क्लस्टर कोल साइडिंग के साथ ही अन्य कोल साइडिंग में कोयला लदान के लिए किया जाएगा। नए बने एल्युमिनियम रैक की खासियत है कि इसके सुपर स्ट्रक्चर पर कोई वेल्डिंग नहीं है। ये पूरी तरह लॉक बोल्टेड है। एल्युमिनियन रैक की कई खूबियां होने के भी दावे किए जा रहे हैं। यह सामान्य स्टील रेक से हल्के है और 180 टन अतिरिक्त भार ढो सकते हैं !
ईंधन की बचत के साथ प्रदूषण भी कम होगा
Breaking एल्युमिनियम रैक आधुनिक रूप से तैयार किया है। यह ईंधन की बचत करेगा और इसके साथ ही इससे कार्बन का उत्सर्जन भी कम होगा। एक एल्युमिनियम रैक अपने सेवा काल में करीब 14,500 टन कम कार्बन उत्सर्जन करेगा। यह रैक ग्रीन और कुशलतम रेलवे की अवधारणा को पूरा करेगा और इससे प्रदूषण भी कम होगा। रेलवे के अफसरों का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से शुरू किए जाने वाले 2 लाख रेलवे वैगनों में से पांच फीसदी अगर एल्युमिनियम के हैं तो एक साल में लगभग 1.5 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन बचाया जा सकता है।
80 फीसदी है रीसेल वैल्यू इसलिए 35 फीसदी है महंगा
Breaking इन एल्युमिनियम रैक की रीसेल वैल्यू 80 फीसदी है। एल्युमिनियम रैक सामान्य स्टील रैक से 35 फीसदी महंगे हैं, क्योंकि इसका पूरा सुपर स्ट्रक्चर एल्युमिनियम का है। एल्युमिनियम रेक की उम्र भी सामान्य रेक से 10 साल ज्यादा है। इसका मेंटेनेन्स कॉस्ट भी कम है, क्योंकि इसमें जंग और घर्षण के प्रति अधिक प्रतिरोधी क्षमता है।
रेल मंत्री बोले- आधुनिकीकरण अभियान में मील का पत्थर
Breaking रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को भुवनेश्वर से एल्युमिनियम से बनी इस मालगाड़़ी को हरी झंडी दिखाकर बिलासपुर के लिए रवाना किया। बिलासपुर पहुंचने पर अफसरों ने मालगाड़ी का स्वागत किया। रेलमंत्री वैष्णव ने कहा कि, इन एल्युमिनियम फ्रेट रैक बड़े पैमाने पर आधुनिकीकर अभियान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, और इसकी कई खुबियां है। रेलवे के इंजीनियरों का दावा है कि एल्युमिनियम पर स्विच करने से कार्बन फुटप्रिंट में काफी कमी आएगी।
एडवांस टेक्नालॉजी का किया गया है इस्तेमाल
Breaking रेलवे जोन के सीपीआरओ साकेत रंजन ने बताया कि यह डिब्बे विशेष रूप से माल ढुलाई के लिए डिजाइन किए गए हैं। इसमें स्वचालित स्लाइडिंग प्लग दरवाजे लगाए गए हैं, और आसान संचालन के लिए लॉकिंग व्यवस्था के साथ ही एक रोलर क्लोर सिस्टम से लैस है। स्टील के बने परंपरागत रैक निकेल और कैडमियम की बहुत अधिक खपत करता है जो आयात से आता है। इससे देश की निर्भरता विदेशों पर बढ़ती है। एल्युमिनियम वैगनों का निर्माण के बाद कम आयात होगा और स्थानीय एल्युमीनियम उद्योग के लिए बेहतर अवसर साबित होगा। इससे विदेशों पर निर्भरता भी कम होगी।