Breaking धान की फसल पर अब भूरा माहो का हमला

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राजकुमार मल

Breaking असीमित उर्वरक छिड़काव और फसल प्रबंधन में लापरवाही पड़ रही भारी

Breaking भाटापारा- धान की फसल में बालियों के साथ भूरा माहो, तना छेदक और पेनिकल माइट आने लगे हैं। परेशान किसान कीटनाशक का छिड़काव कर रहें हैं लेकिन ज्यादा पैसों का लगना बड़ी बाधा बन रही है। फिर भी जैसे- तैसे करके फसल को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

Breaking  3 माह की कड़ी मेहनत रंग लाने लगी है लेकिन बढ़ते तरह-तरह के कीट, समस्या खड़ी कर रहे हैं। पेनिकल माइट और तना छेदक के बाद अब भूरा माहो तेजी से फसलों पर फैलाव ले रहा है।धान की खेती का बड़ा रकबा वाला अपना छत्तीसगढ़ इस समय कीट प्रकोप से दो-चार हो रहा है ।फसल बचाने की जुगत में बड़ी रकम, कीटनाशक की खरीदी में लग रही है लेकिन प्रभावी नियंत्रण अब भी कोसों दूर है।

फैलने लगा है भूरा माहो

Breaking पोषक तत्वों को चूसने वाले घातक कीट में भूरा माहो ऐसा खतरनाक कीट है, जो बालियां निकलने की अवस्था में पौधों पर हमला करता है। इस समय धान की फसल, बालियां निकलने की अवस्था में आ चुकी हैं, लिहाजा यह कीट, परिवार सहित सक्रिय है और बालियों में पहुंचने वाले पोषक तत्व को चूस रहा है। इससे बालियों में दाने नहीं बन पा रहे हैं।

इसलिए फैल रहे

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Breaking रासायनिक उर्वरक का छिड़काव मानक से ज्यादा मात्रा में किया जाना बड़ी वजह के रूप में सामने आई है। कृषि वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि मेड़ों की स्वच्छता को लेकर भी जमकर लापरवाही बरती गई है। इसके अलावा ज्यादा पैदावार के लोभ में ज्यादा बीज डाले गए हैं, या रोपाई में ज्यादा पौधे लगाए गए हैं। इसकी वजह से भी कीट अपना परिवार बढ़ा रहे हैं।

नियंत्रण के लिए यह दवाएं

Breaking जिन खेतों में पानी भरा हुआ है वहां का निकास द्वार अच्छी तरह बंद करें। माहो के प्रकोप वाले खेतों में पाइमेट्रोजिन थायोमेथेक्जाम,इमीडाक्लोरोप्रीड ,फिप्रोनिल,ब्यूप्रोफेजिन, और
डाइनोटेफ्यूरॉन, में से किसी एक दवा का छिड़काव किए जाने की सलाह दी जा रही है।

वर्जन

पौधों के निचले हिस्से में छिड़काव

Breaking भूरा माहो कीट पर प्रभावी नियंत्रण के लिए पेक्सालॉन कीटनाशक का 250 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर के मान से पौधों के निचले हिस्से में छिड़काव करें। किसानों को सलाह दी जाती है कि हवा की दिशा में दवाई का छिड़काव करें और मुंह में कपड़ा अवश्य बांधें। छिड़काव करते समय पूरे कपड़े का पहनना अनिवार्य होगा।

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– अर्चना केरकेट्टा,सहा. प्राध्यापक( कीट शास्त्र), बी टी सी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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