भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ रविवार को जोरदार विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। विवादित बयान को लेकर ब्राह्मण समाज के लोग सड़कों पर उतर आए और जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान कुछ उपद्रवियों ने बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास किया, जिसके बाद पुलिस को वाटर कैनन का सहारा लेना पड़ा। इस घटनाक्रम को लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है।
भोपाल के रोशनपुरा चौराहे पर आयोजित इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। ब्राह्मण समाज ने संतोष वर्मा द्वारा ब्राह्मण समाज की बेटियों को लेकर दिए गए आपत्तिजनक बयान पर कड़ा आक्रोश जताया। प्रदर्शनकारियों ने ‘बहन-बेटियों का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ और ‘संतोष वर्मा मुर्दाबाद’ जैसे नारे लगाए। इस दौरान हाथों में तिरंगा, भगवा और काले झंडे नजर आए, जिन पर ‘बेटी के सम्मान में सर्व समाज मैदान में’ और ‘बेटी मां-बाप का सम्मान और गर्व है’ जैसे संदेश लिखे थे।

पुलिस ने वाटर कैनन से रोका प्रदर्शन
एसीपी आशीष अग्रवाल ने बताया कि ब्राह्मण समाज के कुछ संगठनों द्वारा अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया गया था, जिसकी सूचना केवल विज्ञापन के माध्यम से दी गई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस द्वारा किसी प्रकार का बल प्रयोग नहीं किया गया। हालांकि, कुछ लोगों ने बैरिकेडिंग पार करने की कोशिश की, जिसे रोकने के लिए वाटर कैनन का उपयोग किया गया।
कांग्रेस ने सरकार को घेरा
इस मामले में कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने कहा कि सरकार जानबूझकर जातिगत तनाव को बढ़ावा दे रही है। यह पूरी घटना सरकार की रणनीति का हिस्सा है, जहां एक तरफ उकसाया जा रहा है और दूसरी तरफ कार्रवाई का दिखावा किया जा रहा है। उनके अनुसार, निष्पक्ष कार्रवाई करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है।

बीजेपी का जवाब
कांग्रेस के आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार किया है। बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि ब्राह्मण समाज को धैर्य रखना चाहिए, सरकार इस मामले में सख्त कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि संतोष वर्मा की सेवा समाप्ति के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। वहीं कांग्रेस पर मामले को राजनीतिक रंग देने का आरोप भी लगाया।

केंद्र को भेजा गया बर्खास्तगी का प्रस्ताव
उल्लेखनीय है कि आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा द्वारा ब्राह्मण समाज की बेटियों को लेकर की गई टिप्पणी के बाद विवाद खड़ा हो गया था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें कृषि विभाग के उप सचिव पद से हटाकर जीएडी पूल में संलग्न कर दिया था। इसके साथ ही जाली व फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पदोन्नति प्राप्त करने के आरोपों को लेकर उनकी सेवा से बर्खास्तगी का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है।