Body after death मरने की बाद शरीर की किम्मत केवल पच्चीस रुपये की होती है- देवकृष्ण
Body after death सक्ती जैजैपुर/ ग्राम घिवरा के नेतराम साहू के निवास में राजेंद्र जी महाराज के सुपुत्र व्यासपीठ आचार्य देवकृष्ण के श्रीमद्भागवत कथा कहते हुए कहा कि भरत जी महाराज नदी के किनारे बैठे थे पालकी चलने के लिए भरत जी महाराज उचक उचक के चल रहे थे नीचे ताकि कोई कीड़ा न मर जाये कहारों ने कहा कि नया व्यक्ति उचक उचक के चल रहा है जिसके कारण बैलेंस बिगड़ गया है राजा राघव सोचते है संगति के कारण पूरा बिगड़ जाता है कभी भी कथा सुनने जाना है तो संगति की इंताजर नही करना चाहिए क्योंकि संगति में ही ध्यान नही रहते है !
Body after death संसार में सबका मन एक नही होता सत्संग में तुम और भगवान ही हो पूण्य का संसार मे कोई बटवारा नही होता है मरने पर भी कफ़न साथ नही जाता पुण्य साथ जाता है लोगो को जाने से पहले पूण्य कर लेना चाहिए आत्मा की भार नही होता है शरीर से होता है राजन तुम सत्संग करने जा रहे हो तो पैरो में चलकर जाना चाहिये पालकी पर नही चलना चाहिये मरने की बाद शरीर की किम्मत केवल पच्चीस रुपये की है शरीर की चाबी अगर है तो तुम्हारे मन ही है मन रूपी चाबी को भगवान की द्वार खोल देते है !