:संजय सोनी:
भानुप्रतापपुर। जिला खनिज न्यास निधि की राशि अधिकारी, ठेकेदार व नेताओं के लिए भ्रष्टाचार करने का एक अच्छा साधन बन गई है. स्टीमेट के अनुसार कार्य ना कर पूरी राशि आहरण करने का मामला पूरे जिले में सुर्खियों में रहता है. कई बड़े अधिकारी व सपेद पोश नेताओं द्वारा अपना हिस्सा लेकर करोड़ो रूपये की राशि गुणवत्ताहीन कार्यों व घटिया सामग्री की सप्लाई में खर्च कर दी है.
भ्रष्टाचार की हद तो तब हो गयी जब महज 1 से 2 किलोमीटर तक के पहुंच मार्ग निर्माण के लिए ग्राम पंचायतों को 20-20 लाख रुपये की राशि जारी की गई और महज मुरमीकरण कर सड़क का निर्माण दिखाया गया. जिसके बाद 2 किश्तों में पूरी राशि आहरण कर ली गई है,.
वर्तमान में इन सड़को की हालत देखने से यह बिल्कुल नहीं लगेगा की इसमें 20 लाख रुपये खर्च किए होंगे. कोरबा और बिलासपुर की तरह कांकेर जिले में खनिज निधि से खर्च हो रही राशि की जांच स्वतंत्र एजेंसी से करवाने की आवश्यकता है.
बता दें वर्ष 2022-23 में खनिज न्यास निधि से दुर्गुकोंदल जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत भीरावही, पर्रेकोड़ो में पहुँच मार्ग निर्माण के लिए 19.77 लाख की राशि जारी की गई. स्टीमेट के अनुसार 1400 लम्बाई और 10 वर्ग मीटर में छोटे झाड़ झरुखे व पेड़ पौधों की सफाई, गहराई 30 सेमी और 1.5 मीटर चौड़ाई में मिट्टी का कार्य तथा खोदी हुई मिट्टी का निपटान इसके साथ ही समतलीकरण करना, किनारों व गड्ढों में मुरुम या कठोर मिट्टी डालकर पानी डालकर रोलर से दबाना, पुलिया हेतु पाइप बिछाना तथा पानी निकासी हेतु मार्ग में उचित व्यवस्था आदि कार्य होने थे.
लेकिन ठेकेदार ने अपनी मर्जी से कार्य करते हुए पुरानी मार्ग के ऊपर ही थोड़ी मुरुम व मट्टी डालकर मरम्मत कर दी और पूरी राशि अधिकारियों के साथ मिलकर डकार गए. पहुंच मार्ग के नाम पर इतने बड़े भ्रष्टाचार के बावजूद किसी नेता या अफसर ने जाँच और कार्यवाही का जिम्मा नहीं उठाया.
कुछ भी कहने से बच रहे अधिकारी
खनिज न्यास निधि से हुए इन पहुंच मार्ग निर्माण कार्यों में मशीनों से केवल मुरमीकरण कराया गया है। इससे न ही ग्रामीणों को रोजगार मिला और राशि भी अधिक खर्च कर दी गयी. इस कार्य मे अधिकारी व नेताओं के संरक्षण में बड़े झोल झाल से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं। इस मार्ग की स्वीकृति किस आधार पर ली गयी वहीं कार्य को किस तरह से इंजीनियर द्वारा मूल्यांकन कर भुगतान कराया गया है यहां तो समझ से परे है. ग्रामीणों के अनुसार पहुंच मार्ग बनाने में मुश्किल से दो-चार लाख ही खर्च हुए होंगे. इसके अलावा कुछ गांव में निर्माण से संबंधित बोर्ड भी नहीं लगाया गया जिससे इसकी सही लागत की जानकारी ग्रामीणों को नहीं पता चली.
एक ही बारिश में बह गई मुरम की सड़क
ग्राम पंचायत भीरावही सचिव संतराम तारम ने बताया कि सड़क को एक साल पहले निर्माण किया गया है। दो किलोमीटर सड़क के लिए 20 लाख खर्च किया गया है. बारिश में पूरा मुरमी बहा गया। अब सोचने वाली बात यह है की मार्ग बनाने में क्या सोच कर प्रशासन ने 20 लाख रुपये खर्च किए होंगे? क्योंकि इस मार्ग से पहली बारिश में ही मुरुम बह गई और शासन के लाखो रुपये बर्बाद हो गए। ग्रामीणों को फिर कीचड़ से भरी मार्ग से ही आवाजाही करने पड़ेगी.