आरीडोंगरी माइंस जनसुनवाई पर बड़ा विवाद…11 नवंबर को चक्काजाम की चेतावनी

प्रमुख माँगें और आक्रोश के बिंदु

स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सरपंच संघ और ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और माईस प्रबंधन के सामने गंभीर मुद्दे रखे हैं: ग्रामीणों की मांग है कि जनसुनवाई को ब्लॉक मुख्यालय भानुप्रतापपुर में स्थानांतरित किया जाए। उनका आरोप है कि कच्चे गांव में जनसुनवाई रखने से निष्पक्षता प्रभावित होगी और विवाद की स्थिति बन सकती है।

प्रचार-प्रसार और पारदर्शिता का अभाव:

जनसुनवाई से पहले खनिज प्रभावित गांवों की आधिकारिक सूची जारी करने की मांग की गई है। माईस प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक प्रचार-प्रसार की कमी पर आपत्ति जताई गई है, ताकि सभी प्रभावित लोग इसमें भाग ले सकें।

विकास कार्यों और रोजगार की जानकारी:

वर्ष 2009 से अब तक खनिज प्रभावित गांवों में CSR और DMF (जिला खनिज न्यास निधि) से कराए गए विकास कार्यों की संपूर्ण जानकारी सार्वजनिक करने की मांग है।

इसी अवधि में कितने स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिया गया है, इसकी पूरी और सत्यापित जानकारी मांगी गई है।

पर्यावरण नियमों का उल्लंघन और अवैध कटाई:

सुशासन तिहार 2025 के आवेदन क्रमांक- 25144759400044 में वन एवं पर्यावरण को क्षति पहुंचाने की शिकायत पर कार्रवाई न होने पर आक्रोश है।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि गोदावरी इस्पात द्वारा बिना अनुमति के लगभग 5000 पेड़ों की अवैध कटाई कर लकड़ी को गायब कर दिया गया है।

उनकी स्पष्ट मांग है कि पहले इस अवैध कटाई की सूक्ष्मता से जांच कर कड़ी कार्यवाही की जाए, उसके बाद ही पर्यावरण की जनसुनवाई की जाए।

चक्काजाम की चेतावनी

ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन को 10 नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया है। चेतावनी दी गई है कि यदि उनकी मांगों पर विचार कर त्वरित और उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो 11 नवंबर को स्थानीय जनप्रतिनिधि, सरपंच संघ और ग्रामीण मिलकर चक्काजाम करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि इससे उत्पन्न होने वाली किसी भी कानून व्यवस्था की खराब स्थिति की संपूर्ण जवाबदेही प्रशासन की होगी।

क्षेत्र में माईस के विस्तार को लेकर एक बड़ा टकराव पैदा हो गया है, जिस पर जिला प्रशासन और कंपनी प्रबंधन को जल्द ही कोई बड़ा फैसला लेना होगा।

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