Bhilai Breaking : एसपी के सामने आरोपी ने बताया दुर्ग जेल का खेल, 2 हजार में मोबाइल पर बात… खाने का भी लगता है पैसा

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रमेश गुप्ता

Bhilai Breaking : एसपी के सामने आरोपी ने बताया दुर्ग जेल का खेल, 2 हजार में मोबाइल पर बात… खाने का भी लगता है पैसा

Bhilai Breaking : भिलाई। सेंट्रल जेल एक ऐसी जगह जहां अपराधियों को सुधारने के लिए रखा जाता है। लेकिन इसकी सच्चाई जान लेंगे तो रौंगटे खड़े हो जाएंगे। कहने को तो जेल है यहां बंदियों के भोजन का पूरा ध्यान रखा जाता है। सुबह नास्ते से लेकर दोपहर व रात के खाने तक सभी प्रकार की व्यवस्था सरकार की ओर से होती है। हम यहां बताने जा रहे हैं इसकी पूरी सच्चाई। वह भी एक अपराधी की जुबान से कही गई सच्चाई जो उसने दुर्ग जिले के एसपी डॉ अभिषेक पल्लव के सामने बताई।

Bhilai Breaking : बता दें दुर्ग कोतवाली पुलिस ने रविवार को लक्की महार व काशी निषाद को ब्रादन शुगर की 240 पुड़िया के साथ गिरफ्तार किया। इनके खिलाफ विधिवत कार्रवाई दुर्ग कोतवाली पुलिस द्वारा की गई। आरोपियों के खिलाफ नारकोटिक्स एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। खास बात यह है कि लक्की महार पहले भी दुर्ग जेल में रह चुका है। इसके बाद दुर्ग एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस ली और आरोपियों की मीडिया के सामने क्लास लगाई।

इस दौरान आरोपी लक्की महार अलग ही अंदाज में नजर आया। कभी हंसता तो कभी परेशान होता लक्की ब्राउन शुगर बेचने वालों के नाम भी उगल रहा था। उसने एसपी के सामने दुर्ग शहर के आधा दर्जन लोगों के नाम बता दिए जो ब्राउन शुगर का काम करते हैं।

यही नहीं लक्की महारा ने दो नाम ऐसे भी बताए जो जेल में रहकर बाहर ब्राउन शुगर का कारोबार कर रहे हैं। यह सुनकर एसपी पल्लव भी हैरान और उन्होंने पूछ लिया जेल में रहकर कैसे कोई बाहर ऐसा काम कर सकता है। फिर आरोपी ने बताया जेल का पूरा खेल।

खाने से लेकर बात करने के लिए लगता है पैसा

आरोपी लक्की महार ने जेल के अंदर की बात एसपी के सामने कबूल की। उसने बताया कि दुर्ग जेल में कई बंदियों के पास मोबाइल फोन है और घर पर अपने परिजनों से बात भी कराते हैं। इसके लिए 2000 रुपए महीना लेते हैं। यही नहीं बिना पैसे दिए जेल में खाना भी नहीं मिलता। खाने के लिए भी हर महीने पैसे देने होते हैं। यह पैसा आजकल ऑनलाइन ट्रांसफर होता है या फिर जेल के बाहर बंदियों के परिजनों से कोई तीसरा वसूल कर जाता है।

अभी लक्की महार जेल की पोल खोल ही रहा था एसपी पल्लव बात को दूसरी दिशा में मोड़ देते हैं। ऐसा लग रहा था कि एसपी साहब भी नहीं चाहते कि जेल की पोल मीडिया के सामने खुले। लेकिन बातों ही बातों में एक अपराधी ने जेल की जो सच्चाई बताई है उसने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर जेल में बंदियों के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का क्या होता है।

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