Bhatapara news-स्ट्रीट फूड काउंटर और पान ठेले खूब फैला रहे अपशिष्ट

प्रबंधन को लेकर भरपूर लापरवाही

राजकुमार मल

भाटापारा- स्ट्रीट फूड काउंटर और पान ठेले खूब फैला रहे हैं अपशिष्ट। पीछे नहीं हैं सब्जी, फल और किराना की दुकानें इस काम में। फौरी जांच में हुए इस खुलासे के बाद सख्ती की तैयारी पालिका प्रशासन ने चालू कर दी है।

कहां है डस्टबिन ? यह सवाल संस्थानों में बहुत जल्द दस्तक देने वाला है क्योंकि अपशिष्ट प्रबंधन की यह सामग्री लगभग सभी संस्थानों से गायब हो चुकी है। इसलिए अंतिम ठिकाना वह नालियां बनीं हुई हैं, जहां की सफाई इन दिनों जोर- शोर से पालिका प्रशासन कर रहा है।

 

 

 

भरपूर वेस्ट इनका

जूस कॉर्नर। सबसे आगे है वेस्ट मैनेजमेंट में लापरवाही के मामले में। कुछ एक को छोड़ दें, तो बाकी सभी के पास अपशिष्ट प्रबंधन का यह सुरक्षित उपाय नहीं है। ऐसे में करीब की खाली जगह या फिर नालियां आसान ठिकाना बनी हुई हैं। साथ-साथ लगने वाले स्ट्रीट फूड काउंटरों की भी सहभागिता नजर आ रही है। इसलिए सख्ती की शुरुआत यहीं से किए जाने की योजना बनाई जा रही है।

हम किसी से कम नहीं

सब्जी और फल। किराना, कपड़ा और फर्नीचर मार्ट। इन सभी संस्थानों से निकलने वाला अपशिष्ट भी सड़कों पर नजर आता है। डस्टबिन जैसे आसान और सहज उपाय को लेकर जैसी बेरुखी इन्होने बनाई हुई है, उसने भी शहर और नगर सरकार की परेशानी बढ़ाई हुई है। रोज निकलने वाले अपशिष्ट की मात्रा में इनकी हिस्सेदारी को बढ़ता हुआ देख रहा है शहर। शादी-ब्याह और होते आयोजन की वजह से यह मात्रा रोज बढ़त ले रही है।

प्रतिबंध फिर भी प्लास्टिक खूब

सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और विक्रय पर कड़े प्रतिबंध बावजूद की संस्थानें भंडारण और विक्रय खुले तौर पर कर रहीं हैं। कार्रवाई के लिए है अधिकृत है निकाय प्रशासन लेकिन जाने क्यों मौन साधी हुई है नगर सरकार। यही वजह है कि शत्- प्रतिशत संस्थानें इसका उपयोग कर रही हैं। जिम्मेदार, शहर भी कम नहीं है क्योंकि कपड़ा और जूट बैग होते हुए भी प्लास्टिक की थैलियों को ही प्राथमिकता में रखे हुए हैं।खी इन्होने बनाई हुई है, उसने भी शहर और नगर सरकार की परेशानी बढ़ाई हुई है। रोज निकलने वाले अपशिष्ट की मात्रा में इनकी हिस्सेदारी को बढ़ता हुआ देख रहा है शहर। शादी-ब्याह और होते आयोजन की वजह से यह मात्रा रोज बढ़त ले रही है।

प्रतिबंध फिर भी प्लास्टिक खूब

सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और विक्रय पर कड़े प्रतिबंध बावजूद की संस्थानें भंडारण और विक्रय खुले तौर पर कर रहीं हैं। कार्रवाई के लिए है अधिकृत है निकाय प्रशासन लेकिन जाने क्यों मौन साधी हुई है नगर सरकार। यही वजह है कि शत्- प्रतिशत संस्थानें इसका उपयोग कर रही हैं। जिम्मेदार, शहर भी कम नहीं है क्योंकि कपड़ा और जूट बैग होते हुए भी प्लास्टिक की थैलियों को ही प्राथमिकता में रखे हुए हैं।