Bhatapara Market : दबाव में झुरगा, राजमा और खैरी चना… साथ दे रहा मटर, गुलाबी और काबुली चना

Bhatapara Market :

राजकुमार मल

Bhatapara Market :  साथ दे रहा मटर, गुलाबी और काबुली चना

 

 

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Bhatapara Market :  भाटापारा- बेतरह दबाव में है चना खैरी, राजमा और झुरगा। मांग इसलिए बढ़ रही है क्योंकि हरी सब्जियों की कीमत क्रयशक्ति से बाहर जा चुकी है और यह तीनों हरी सब्जियों के विकल्प माने जाते हैं।

हरी सब्जियों की कीमत अब हर वर्ग के उपभोक्ताओं की क्षमता से बाहर हो चुकी है। लिहाजा मांग का प्रवाह, उपलब्ध अन्य विकल्पों की ओर जा रहा है। ऐसे में विकल्प भी महंगे होने लगे हैं। सबसे ज्यादा दबाव झुरगा और खैरी चना पर देखा जा रहा है। आंशिक असर अचार और दलहन की कुछ ऐसी किस्म पर भी महसूस किया जा रहा है, जिनका उपयोग भी सब्जियों के रूप में किया जाता है।

यह तीन खूब

सूखी सब्जियों में अहम माना जाता है खैरी चना को। पहली मांग इसमें ही है। फलस्वरुप इसकी खरीदी पर प्रति किलो 85 रुपए दिए जा रहे हैं। दूसरे स्थान पर झुरगा है जिसमें 120 रुपए किलो की कीमत बोली जा रही है। अपेक्षाकृत कमजोर है खरीदी, राजमा में लेकिन कीमत 120 से 130 रुपए किलो की दर पर करनी पड़ रही है उपभोक्ताओं को। आंशिक तेजी से बाजार इनकार नहीं कर रहा है।

पीछे यह भी नहीं

रेस्टोरेंट, होटल, ढाबे और स्ट्रीट फूड कॉर्नर। यह क्षेत्र मटर सफेद, मटर हरा और काबुली चना की बड़ी मांग वाले केंद्र माने जाते हैं। इन्हें थोड़ी राहत इसलिए है क्योंकि कीमत फिलहाल क्रयशक्ति के भीतर ही मानी जा रही है। हरा मटर भले ही 90 से 100 रुपए किलो बोली जा रही हो लेकिन सफेद मटर 45 से 46 रुपए किलो की कीमत पर राहत दे रही है। अलबत्ता काबुली चना 120 से 170 रुपए किलो की कीमत पर मजबूत है, तेजी की धारणा नहीं है।

शांत है अचार

 

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Bhatapara Market : महंगी सब्जियों का अंतिम विकल्प, अचार में मांग और कीमत दोनों स्थिर है। 120 से 150 रुपए किलो के पैक भले ही पर्याप्त मांग की राह देख रहे हों लेकिन बड़ी मांग क्षेत्र याने मध्यान्ह भोजन वाली स्कूलें छोटे पैक की जगह 5 किलो की पैकिंग वाले अचार की मांग को प्राथमिकता देती है क्योंकि छोटे पैक की तुलना में बड़े पैक फिर भी कीमत में राहत देने वाले हैं। लिहाजा संस्थानें घरेलू मांग की प्रतीक्षा में हैं।

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