Bhatapara Latest News वरदान बनेगा रामदाना :  शुष्क भूमि और अल्प सिंचाई में तैयार होने वाली फसल में नहीं लगते हानिकारक कीट

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राजकुमार मल

 

Bhatapara Latest News  शुष्क भूमि और अल्प सिंचाई में तैयार होने वाली फसल में नहीं लगते हानिकारक कीट

 

 

Bhatapara Latest News भाटापारा – वरदान बनेंगी मोटा अनाज की आठ ऐसी प्रजातियां, जिनकी खेती किसी भी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। बेहद अल्प सिंचाई पानी की जरूरत वाली इन फसलों में कीट प्रकोप नहीं होता। सबसे दिलचस्प यह कि इन फसलों को अन्य कृषि उपज की तुलना में उच्चतम कीमत मिलती है।

विश्व बाजरा वर्ष अभियान के बाद देश के 14 राज्यों ने इसे खाद्य सुरक्षा अभियान में शामिल कर लिया है। यही वजह है कि इसकी खेती करने वाले किसानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अपने प्रदेश में भी किसान न केवल बीज की खरीदी करने लगे हैं बल्कि रकबा बढ़ाने को लेकर रुझान दिखा रहे हैं। इसके पीछे एक और बड़ी वजह यह है कि अपने यहां पड़त भूमि का रकबा भी विशाल है। जहां इसकी खेती की जा सकती है।

Bhatapara Latest News वरदान हैं यह प्रजातियां

 

 

रामदाना। वनस्पति विज्ञान में अनाज का दर्जा नहीं लेकिन इसे बाजरा में शामिल कर लिया गया है।कुट्टू। यह भी अनाज नहीं लेकिन पोषक तत्वों की मौजूदगी ने मोटा अनाज की सूची में इसे सूचीबद्ध किया जा चुका है। ज्वार। सर्वाधिक शुष्क क्षेत्र में उगने वाली यह प्रजाति भी बोई जाने लगी है। रागी। 80 से 85 दिन तैयार होने वाली यह प्रजाति पूरे साल बोई जा सकती है। पर्ल मिलेट। बाजरा की यह प्रजाति सबसे ज्यादा ली जाने वाली मोटा अनाज की फसल बताई गई है। कोदो। सर्वाधिक फाइबर वाला यह अनाज पहचान का मोहताज नहीं है। सांवा और कुटकी। देशभर में की जाने वाली इसकी खेती और तैयार अनाज को भरपूर पोषक तत्वों वाला माना गया है।

Bhatapara Latest News इसलिए सुपर फूड

 

मिलेट मिशन में सूचीबद्ध मोटा अनाज की इन प्रजातियों में उच्च पोषक तत्व मिले हैं लेकिन ग्लूटेन फ्री, फैटी एसिड, उच्च फाइबर, कैल्शियम, विटामिन बी जैसे औषधीय तत्व की वजह से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग पर न केवल नियंत्रण रखता है बल्कि दूर रखने में भी सक्षम माना गया है।

Bhatapara Latest News बना सकते हैं यह सामग्री

 

अनुसंधान के बाद मोटा अनाज की इन प्रजातियों से खिचड़ी, रोटी, पराठा, समोसा, इडली, डोसा बनाए जा सकते हैं। इसके अलावा केक और चॉकलेट भी बनाया जा सकता है। याने यह हर उम्र वर्ग के उपभोक्ता तक विभिन्न स्वरूप में पहुंच सकता है।

Bhatapara Latest News इसलिए किसानों का रुझान

 

शुष्क भूमि में आसानी से तैयार होने वाली यह प्रजातियां 80 से 105 दिन में तैयार हो जाती है। किसानों के बीच रुझान इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि इसमें कीट प्रकोप नहीं होता और लगभग पूरे साल इसकी फसल ली जा सकती है, वह भी बेहद अल्प सिंचाई के साथ।

 

हर लिहाज से उत्तम

 

 

मोटा अनाज की प्रजातियां हर लिहाज से आदर्श फसलें हैं। यह इसलिए क्योंकि यह शुष्क भूमि, कम पानी और अल्प अवधि में तैयार हो जाती है। उपलब्ध औषधीय तत्व इसे बहुमूल्य बनाते हैं।

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– डॉ.एस.आर.पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट, एग्रोनॉमी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

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