Bharatiya Kisan Union : आदिवासी किसान भाइयों को आत्म विश्लेषण के अंतिम अवसर : संजय पंत

Bharatiya Kisan Union

नितेश मार्क

Bharatiya Kisan Union :  आदिवासी किसान भाइयों को आत्म विश्लेषण के अंतिम अवसर : संजय पंत

 

Bharatiya Kisan Union :  दंतेवाड़ा / भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष आदिवासी किसान नेता संजय पंत ने प्रेस नोट जारी कर बस्तर क्षेत्र के आदिवासी किसान भाइयों के सामने भविष्य में आने वाली समस्याओं एवं इससे संबंधित उनकी तैयारियों के बारे में समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए वर्तमान परिस्थितियों को समाज के लिए आत्म विश्लेषण के अंतिम अवसर की संज्ञा दी है।

किसान नेता आगे कहते हैं कि जिस प्रकार रोमन साम्राज्य के सम्राट नीरो अपनी राजधानी रोम के जलने के समय बांसुरी बजाकर सुख और चैन का संदेश दे रहे थे ठीक उसी प्रकार आरक्षित सीटों से चुने गए जनप्रतिनिधि भी धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले बस्तर के जलने एवं लूटने के समय सब कुछ ठीक होने का ढोंग कर रहे हैं। अपने परिवार एवं क्षेत्र की खुशहाली का सपना सजोये एक आम आदिवासी किसान भाई चुनाव में कीमती वोट देता है लेकिन कमीशन खोरी एवं पूंजीवादी मानसिकता की गुलामी से ग्रसित जनप्रतिनिधि अपने ही समाज से गद्दारी करता है। पांचवी अनुसूची लगे बस्तर क्षेत्र की सभी समस्याओं की जड़ चुने हुए जनप्रतिनिधियों की अपने ही समाज के प्रति गद्दारी है।

आदिवासी किसान भाइयों के लिए भी यह सोचने का विषय है कि जब बीजापुर जिले के मुदवेंडी गांव में पुलिस नक्सली मुठभेड़ के दौरान 6 माह की दूध पीती बच्ची की मौत पर उनके अपने ही समाज के किसी भी पार्टी के नेता ने दो शब्द तक नहीं बोला तो रायपुर और दिल्ली से उम्मीद करना तो बेईमानी है। जब सरकार एवं नक्सली दोनों ही पक्षों का अंतिम लक्ष्य आदिवासी किसान भाइयों का कल्याण है तो पुलिस नक्सली मुठभेड़ के रूप में आदिवासी किसान भाई ही क्यों मारा जा रहा है। शोषणकारी एवं पूंजीवादी ताकतों द्वारा नक्सल हिंसा के नाम पर बस्तर क्षेत्र को षडयंत्र पूर्वक पिछड़ा रखकर आदिवासी किसान भाइयों के आत्मविश्वास को समाप्त कर दिया गया है।

आदिवासी किसान भाई इस धरती के प्रथम निवासी हैं एवं इन्होंने दुनिया को मात्र दिया है लिया कुछ नहीं है। सर्वप्रथम आदिवासी भाई अपने आप को किसान माने आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं रहेगी। जल, जंगल और जमीन को बचाने की इस लड़ाई को आदिवासी किसान भाइयों को अपने हाथों में लेना ही पड़ेगा। बीजापुर जिले के सारकेगुडा में हुए फर्जी मुठभेड़ मेंगए 16 निर्दोष आदिवासी किसान भाइयों के परिवार वालों को मुआवजा देने में विफलता के लिए राज्य के आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को बिना कारण बताए तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। नई रेलवे लाइन के नाम पर विकास का ढोल पीटने वाले बस्तर सांसद अति शीघ्र खनिज संसाधनों को लूट कर ले जाने वाली रेलगाड़ियों को हरी झंडी देकर रवाना करेंगे।

पूंजीवादी एवं शोषणकारी ताकतों के विरुद्ध लड़ाई में आदिवासी किसान भाइयों के लिये शिक्षा एवं अपना हक एवं अधिकार जानने की क्षमता ही सबसे बड़ा हथियार साबित होगी। आदिवासी समाज से राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, पंच- सरपंच, अधिकारी-कर्मचारी, पुलिस सही तमाम संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद एक आम आदिवासी ही क्यों मारा जा रहा है। आदिवासी किसान भाइयों के लिए यह समय है एकजुट होकर अपनी गलतियों को सुधारते हुए अपनी क्षमताओं के आत्म विश्लेषण करने की।

 

समाज सबसे ताकतवर एवं सबसे ऊपर है, सरकार से भी क्योंकि सरकार तो समाज का एक अंग मात्र है। विकास करना सरकार का कार्य है लेकिन विकास का स्वरूप तैयार करना समाज का कार्य है। बस्तर के खनिज संसाधनों को लूटने के लिए आदिवासी भाई को आदिवासी भाई से ही मरवाने की इस साजिश के विरुद्ध लड़ाई में भारतीय किसान यूनियन आदिवासी किसान भाइयों के साथ पूरी ताकत से खड़ा है। बहुत जल्दी बीजापुर जिले के दक्षिणी भाग में भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले एक विशाल जनसभा आयोजित की जाएगी जिसमें जल, जंगल एवं जमीन को बचाने की इस लड़ाई को स्वयं आदिवासी समाज के हाथों में लेने की संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी।

 

Massive Kanwar Yatra Program : विशाल कांवड़ यात्रा कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय डॉ रमन सिंह एवं विधायक  राजेश मूणत

Bharatiya Kisan Union :   यहां आदिवासी समाज से तात्पर्य किसी संगठन से नहीं बल्कि एक आम आदिवासी किसान भाई से है। आरक्षित सीटों से चुने गए जनप्रतिनिधियों से यह आशा की जाती है कि सर्वप्रथम वह अपने संवैधानिक अधिकारों की ताकत को समझ कर अपने समाज के विरुद्ध होने वाले अन्याय एवं अत्याचार के मामलों को विधानसभा एवं लोकसभा में जोर-शोर से उठाएं अन्यथा रोम जलता रहेगा एवं नीरो बांसुरी बजाता रहेगा।