Bhanupratappur : श्री कृष्ण के बाल लीला से भावविभोर हुए स्रोता….

Bhanupratappur : श्री कृष्ण के बाल लीला से भावविभोर हुए स्रोता....

Bhanupratappur : श्री कृष्ण के बाल लीला से भावविभोर हुए स्रोता….

श्रीमद्भागवत के छठवें दिवस

Bhanupratappur : श्री सांई मंदिर में नव दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत के छठवें दिवस श्री कृष्ण बाल लीला, माखनचोरी, गोवर्धन पूजा एवं 56 भोग की कथा बताई गई।

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Bhanupratappur : कथा व्यास पंडित अविनाश महराज ने भगवान कृष्ण की बाल लीला का सूंदर बखान किया। बाल्यकाल में ही श्री कृष्ण जी ने पूतना जो कि वेश बदलकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती रही लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उसका वध किया इनके अलावा कई दानव का भी वध कर उन्हें मोक्ष प्रदान किया।

सखा के साथ मिलकर माखनचोरी करना, उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। इंद्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी

वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत को नीचे बुला लेते हैं।

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जिससे हार कर इंद्र एक सप्ताह के बाद वर्षा को बंद कर देते हैं। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाने लगते हैं। मौके पर भगवान को छप्पन भोग लगाया गया।

छठवे दिन की भागवत कथा में महाराज ने शास्त्रों में उल्लेख तीन हठ बाल हठ, योगी हठ एवं प्रिया हठ को बताया। वही पूर्व में रसोईघर को ही मंदिर कहा जाता था। मंदिर बाहर सार्वजनिक होती थी, जैसे जैसे समय परिवर्तित हुआ कुछ आतिताईयो ने मन्दिरो में तोड़फोड़ करना प्रारंभ किया,

बाहर जाकर पूजन करने वाले को दंडित करने लगे तो सनातन धर्म को बचाने व पूजन परम्परा को कायम रखने के लिए घरों में मंदिर बनाकर भगवान की पूजा पाठ करने का सामूहिक निर्णय लिया गया,तब से घरों में मन्दिरो की परंपरा प्रारंभ हुई। भागवत कथा श्रवण करने महिलाओं की भीड़ मंदिर परिसर में लगी रही।

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