गुरु के प्रति निष्ठा व समपर्ण जरूरी- शुभ आरती
संजय सोनी
भानुप्रतापपुर। वैराग्य जीवन को श्रेष्ठ बताया गया है। वैराग्य का मतलब है- सांसारिक चीज़ों से विरक्ति या उदासीनता. यह एक आध्यात्मिक अनुशासन है जिसमें इंद्रियों की वासनाओं से मुक्ति पाने के लिए स्वैच्छिक तपस्या शामिल है। भक्ति व ईश्वर प्राप्ति का मार्ग माना गया है।
सुभाषपारा में आठ दिवसीय श्रीमद देवी भागवत कथा के छठवें दिवस तुलसी विवाह, मणि दीप दर्शन, अनन्त रूपो के पूरे विश्व मे कल्याण की कथा, एवं सातवे दिवस चराचर जगत के उत्पत्ति की महिमा की कथा, अष्टमी हवन पूर्णाहुति के साथ ही
देवी भागवत के चढ़ोत्तरी किया गया।
व्यासपीठ पर विराजमान प्रवचनकर्ता बाल विदुषी शुभ आरती दीदी ने श्रीमद देवी भागवत कथा की महिमा बताते हुए कहा कि हिन्दू सनातन धर्म के अठारह महापुराणों में से एक है जो देवी की शक्ति और महिमा का वर्णन करती है।
जीवन मे गुरु का होना आवश्यक माना गया है, गुरु के सानिध्य में ही मनुष्य को आध्यात्मिक ज्ञान और मार्गदर्शन मिलता है। गुरु बिना ज्ञान संभव नही है। जीवनकल्याण के लिए भी गुरु ही मार्ग प्रसस्त करता है। गुरु के प्रति निष्ठा व समपर्ण जरूरी है। भगवान श्री रामचन्द्र व भगवान शंकर जी एक दूसरे के गुरु सेवक, दास है। गुरु के प्रति ऐसे समपर्ण होने चाहिए।
मानव को हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। पूजा अर्चना के वैदिक एवं तांत्रिक दो विधि बताये गए है। देवी भागवत के महत्व यदि कोई भक्त समय आभाव के चलते कथा स्थल तक अंतिम दिवस भी कथा श्रवण करने से पूरा फल प्राप्त होता है। नवरात्र उपवास न रहते हुए भी माता का सुमिरन से लाभ मिलता है। विंध्याचल पर्वत को माता का श्रेष्ठ स्थान माना जाता है।
दीदी जी ने कहा कि बेहतर भविष्य व सनातन धर्म के लिए अपने बच्चों को अच्छे शिक्षा के साथ संस्कार भी देना आवश्यक है।
श्रीमद देवी भागवत अमृत कथा के भागीरथी प्रयास करने वाले सहयोगी भक्तजन खेवेन्द्र सिह ठाकुर, कैलाश शर्मा,रमेश शर्मा, राजेश जैन, विनोद जयसवाल, महेश जैन, तातू राम यादव, सुरोजित विश्वास, प्रकाश ठाकुर, प्रदीप दास, ललिता जैन, रीता जयसवाल, नीता जायसवाल, कौशल शांडिल्य, केसर शर्मा, लता जैन, केसर यादव,ममता मिश्रा, छाया सरकार, कमला कोर्राम, रेखा टांडिया, कमला सिह, एन रंजीता, रीता सिह, अन्नपूर्णा ठाकुर, निर्मला यादव, सुशीला नायक द्वारा किया जा रहा है।