Bhagwat Katha : सरसीवा , मनुष्य के आस्था और विश्वास मैं भगवान बसे हैं

Bhagwat Katha : सरसीवा , मनुष्य के आस्था और विश्वास मैं भगवान बसे हैं

Bhagwat Katha : सरसीवा , मनुष्य के आस्था और विश्वास मैं भगवान बसे हैं

Bhagwat Katha : सक्ती जिला सांरगढ सरसीवा मनुष्य के आस्था और विश्वास मैं भगवान बसे हैं , यदि मन में विश्वास नहीं है तो मंदिरों में भी भगवान नहीं मिलेंगे , भक्त जहां भगवान को देखना चाहता है उसे भगवान वही दिखने लगते हैं l

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Bhagwat Katha : भक्त प्रह्लाद ने खंभे के भीतर ही भगवान का दर्शन कर लिया था , भगवान ने अलौकिक रूप धारण कर नरसिंह का अवतार लिया और अपने भक्तों की रक्षा कर हिरण्यकश्यप दानव का वध किया l


जिसकी जैसी भावना होती है भगवान उसे उसी रूप में दिखाई देते हैं , यह उद्गार सरसीवा में आयोजित संगीत में श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से भागवताचार्य राजेंद्र महाराज ने प्रकट किया l

तीसरे दिन की कथा में भगवान कपिल देव द्वारा मैया देव जी को तत्वज्ञान का सत्संग , अजामिल ब्राह्मण का उद्धार , और प्रहलाद चरित्र की कथा विस्तार से श्रवण कराया गया , आचार्य राजेंद्र महाराज ने बताया कि मनुष्य को अपने प्रारब्ध को भोगना ही पड़ता है , इसलिए नए प्रारब्ध है की रचना ना करें l

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अपने कल्याण के लिए अपने ज्ञान और विवेक का आश्रय लेकर मनुष्य को चाहिए कि वह अपने इंद्रियों के सशक्त रहते हुए ही भगवान का भजन संकीर्तन करते रहे , क्योंकि भगवान नाम ही सर्वोपरि है और यही कलयुग का आधार भी है l

दुनिया कि कोई और संपत्ति अथवा निकटतम और प्रिय रिश्तेदार भी मनुष्य के साथ जाता नहीं है , केवल उसके द्वारा अर्जित पुण्य और दान धर्म आदि ही उसका साथ देता है

और यही अक्षय पुण्य बनकर मनुष्य के परलोक और भाभी जन्म को उधार देते हैं l हम अपने अगले जन्म की तैयारी इसी जन्म में ही करते रहते हैं l भागवत की कथा भवसागर को भवसागर बना देती है l

अजामिल ब्राह्मण जो अपने प्रारब्ध के कारण एक दासी स्त्री को अपनी पत्नी बनाया किंतु संतों के आशीर्वाद से उसी स्त्री से जन्म लिए बेटे का नाम नारायण रखा , जिस नाम को वह कई बार लेने का आदी हो गया

, मरण काल में भी उसने यमदूत के भयंकर स्वरूप को देखकर डर के मारे अपने बेटे को पुकारने लगा और कहा कि बेटा नारायण तुम कहां हो मेरी रक्षा करो , बार-बार नारायण का नाम लेने से भगवान नारायण ने उसके अंतःकरण की पुकार सुन लिया और अपने पार्षदों को भेजकर अजामिल को यमदूत के ठंड से बचाया ,l

उसकी प्राण ही नहीं बल्कि उसे भगवान की शक्ति भी मिल गई l हमारे जीवन में नामों का बड़ा महत्व है इसलिए हमारे बच्चों के नाम में भगवान की नाम जैसा रखें जिससे बच्चों का नाम लेते लेते भगवान का नाम भी हमारे मुंह से निकलता रहे l

प्रतिदिन कथा श्रवण का लाभ सैकड़ों श्रोता प्राप्त कर रहे हैं l यज्ञ आचार्य देव कृष्णा महाराज , उपाचार्य मनोज शर्मा, पंडित राजेश दुबे , आचार्य शिवा दुबे द्वारा प्रतिदिन वेदी पूजन , सस्वर भाग भागवत महापुराण का मूल पाठ , द्वादश अक्षर मंत्र

और गणेश गायत्री मंत्र का पाठ किया जा रहा है l कथा श्रवण करने पंडित दिवाकर दुबे , गोपाल दुबे , विनोद कुमार दुबे ,

केदार अग्रवाल , शिवरात्रि केसरवानी , श्रीमती करुणा शर्मा , महावीर अग्रवाल , नकुल केसरवानी , श्रीमती मीनाक्षी , तोषण अग्रवाल , शैलेंद्र माधुरी दुबे , श्रीमती पूनम शर्मा , पंडित चंद्रशेखर श्रीमती कामिनी दुबे सहित सैकड़ों श्रोता उपस्थित

थे l श्रीमद् भागवत कथा के आयोजक राम जी श्रीमती मीरा दुबे द्वारा कथा श्रवण करने हेतु आग्रह किया गया है l

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