जगदलपुर। विजयदशमी के मौके पर जहां पूरे देश में रावण दहन होता है, वहीं छत्तीसगढ़ का बस्तर अपनी अनूठी परंपरा के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहां दशहरे पर ‘भीतर रैनी’ की रस्म निभाई जाती है, जिसमें रावण दहन नहीं बल्कि मां दंतेश्वरी की पूजा और रथ चोरी की परंपरा आयोजित होती है।

गुरुवार-शुक्रवार की आधी रात हजारों लोग इस रस्म में शामिल हुए। आदिवासी समुदाय ने हाथों से बने 8 चक्कों वाले विशाल विजय रथ को खींचा। रथ पर मां दंतेश्वरी का छत्र और खड़ा तलवार रखकर कुम्हड़ाकोट के जंगल तक ले जाया गया।

इतिहास में माना जाता है कि राजशाही काल में राजा से नाराज ग्रामीणों ने रथ चुरा लिया था और बाद में “नवा खानी” यानी नए चावल से बनी खीर खाकर राजा और ग्रामीणों ने मिलकर इसे वापस लाया।

करीब 600 साल से यह परंपरा जारी है और आज भी बस्तर का दशहरा रावण दहन से अलग अपनी सांस्कृतिक धरोहर के कारण दुनिया में पहचान बना रहा है।