बदहाल सिस्टम… जर्जर भवन..न दरवाजे न खिड़कियां… खतरे में भविष्य

स्कूल की छत से बारिश के दौरान पानी टपकता है, भवन में दरवाजे नहीं हैं, खिड़कियां जर्जर स्थिति में हैं और बिजली की व्यवस्था भी नदारद है। इसके अलावा अब तक स्कूल परिसर में बाउंड्रीवाल का निर्माण नहीं हो पाया है, जिससे खुले में पढ़ रहे बच्चों पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है। गांव जंगल क्षेत्र से घिरा हुआ है, जहां जंगली जानवरों विशेषकर भालुओं की आवाजाही आम बात है।

स्कूल भवन की सुरक्षा व्यवस्था के अभाव में छात्र और अभिभावक हमेशा भय के माहौल में रहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे बीते 5 वर्षों से स्कूल भवन निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।इस मुद्दे को लेकर गांव के पूर्व सरपंच कैलाश हदगिया, सागर यादव, किशोर जुर्री, तुकाराम घरत, तमेश्वर निषाद, सहदेव जुर्री, सुदाम निषाद, कुलदीप निषाद, गुलशन हदगिया, होमन लाल, सोमेश नेवेन्द्र, उदे राम निषाद, हेत राम, हिमांशु मानिकपुरी और पुरान निषाद ने सामूहिक रूप से प्रशासन से तत्काल स्कूल भवन निर्माण एवं सुरक्षा बाउंड्रीवाल की मांग की है। ग्रामीणों की स्पष्ट चेतावनी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आगे व्यापक आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं।

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