Ashtottara Shrimad Bhagwat Katha : धरती मैया गौ माता का रूप धारण कर भगवान को पुकारती है कि प्रभु दुष्टों से रक्षा करो, अब आप को अवतार लेना ही होगा

Ashtottara Shrimad Bhagwat Katha :

Ashtottara Shrimad Bhagwat Katha : 1008 आचार्यों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ किया जा रहा भागवत पूजन 

Ashtottara Shrimad Bhagwat Katha :

Ashtottara Shrimad Bhagwat Katha सक्ती ! बाराद्वार नगर मैं अष्टोत्तर श्रीमद् भागवत कथा मैं 1008 आचार्यों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ भागवत पूजन किया जा रहा है वही अष्टोत्तर श्रीमद्भागवत के कथा के पांचवे दिन व्यास पीठ से गोस्वामी गोविंद बाबा द्वारा भगवान कृष्ण की लीला रासलीला गोवर्धन पूजा कंस वध का कथा श्रवण कराते हुए कहा कि यह धरा जब पाप अधर्म और धर्म को हानि पहुंचाने वाले दुष्टों के भार से दबने लगती है तब धरती मैया गौ माता का रूप धारण कर भगवान को पुकारती है कि हे प्रभु अब आप को अवतार लेना होगा ।

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Ashtottara Shrimad Bhagwat Katha अजन्मा कहलाने वाले भगवान तब संपूर्ण विश्व का कल्याण करने के लिए अवतार भी लिया करते हैं , संसार के समस्त प्राणियों का जन्म अपने कर्मों के कारण होता है किंतु भगवान का अवतार करुणा वश होता है । श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ है जिसके माध्यम से वैदिक और पौराणिक काल के दिव्य ज्ञान प्राप्त कर मानव जीवन कृत्य कृत्य होता है !


Ashtottara Shrimad Bhagwat Katha यह उद्गार नगर पंचायत बाराद्वार मैं आयोजित संगीत मैं अष्टोत्तर श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए व्यासपीठ से आचार्य गोस्वामी गोविंद बाबा ने प्रकट किया ।

गोविंदबाबा द्वारा भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला में पूतना वध , मैया यशोदा को वैष्णवी माया , वृंदावन लीला , कालिदाह से कालिया नाग को रमणक द्वीप भेजना , गोवर्धन लीला चीरहरण एवं महारास की कथा का सरस वर्णन कर बताया गया कि श्रीकृष्ण की लीलाओं में माधुर्यता और विचित्रता दोनों ही है । इन लीलाओं के माध्यम से श्री कृष्ण ने मनुष्यों को प्रेरित करते हुए अपने सारे कर्म को सत्कर्म में बदलने और मनुष्य जीवन को अति विशिष्ट था पूर्ण निर्वाह करने की प्रेरणा दिया है !

कालिया नाग का मर्दन कर यमुना नदी को कालिया नाग के विष से मुक्त किया है ,। भगवान श्रीकृष्ण अपनी लीला करते हुए इंद्र का अभिमान तोड़कर संसार के मनुष्य को प्रकृति की पूजा करने की प्रेरणा दी है क्योंकि जब तक धरती में हरियाली रहेगी तब तक ही मनुष्य और उसकी भावी पीढ़ी तथा समस्त प्राणी अपना जीवन यापन कर सकेंगे ।

Ashtottara Shrimad Bhagwat Katha जब तक इस धरती में गौ माता , गंगा मैया , गायत्री और हमारी गौरी अर्थात कन्या सुरक्षित रहेंगे तब तक ही हमारा अस्तित्व बचा रहेगा l गोविंद बाबा द्वारा पूतना प्रसंग में कन्या शिक्षा तथा सुरक्षा पर विशेष आग्रह किया गया कि बेटी के जन्म लेने पर माता-पिता के मुख से आह न निकले और बेटे के जन्म लेने पर वाह ना हो । बेटे और बेटियां दोनों ही बराबर है , दोनों को ही समान शिक्षा और सम्मान देने की आवश्यकता है ।

चीर हरण लीला का अर्थ समझाते हुए उन्होंने बताया कि जो भगवान द्रोपदी की लाज बचाने के लिए स्वयं वस्त्र बन जाते हैं वे भला गोपियों का वस्त्र हरण कैसे कर सकेंगे । चीर हरण लीला तो गोपियों को नियम पालन करने की शिक्षा की दिव्य लीला है , श्री कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए जो गोपिया कात्यायनी की पूजा और व्रत रखती हैं , वह बिना वस्त्र के ही यमुना में स्नान करती है !

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जो जल देवता का अपमान है , श्री कृष्ण ने गोपियों को कहा की व्रत के नियम तोड़कर सिद्धि प्राप्त नहीं की जा सकती , इसलिए नियमों का पालन सभी के लिए अनिवार्य है । चीर हरण लीला का भाव यह है कि स्त्रियां अपना आंचल संभाल कर चले और पुरुष अपना आचरण , क्योंकि आंचल के गिर जाने पर मर्यादा गिरती है और आचरण के गिर जाने पर सब कुछ गिर जाता है ।


Ashtottara Shrimad Bhagwat Katha आयोजित विशाल 1008 अष्टोत्तर श्रीमद् भागवत कथा को सफल बनाने में बांके बिहारी पवन शर्मा सतीश जिंदल विष्णु जिंदल ओमप्रकाश केडिया कैलाश जैजैपुर वाले ओम प्रकाश अग्रवाल नरेश जिंदल पुरुषोत्तम गोविंद राम सिंघानिया महेश कलानोरिया महिला मंडल के पदाधिकारी एवं सदस्यगण राम कृष्ण गौशाला समिति के पदाधिकारी एवं सदस्यगण सफल बनाने में जुटे हुए हैं पांचवें दिन की कथा में हजारों की संख्या में आसपास के ग्रामीण क्षेत्र की भक्तगण महिला पुरुष युवा नागरिक गण ने कथा श्रवण कर पुण्य का लाभ प्राप्त कर महाभोग भंडारे का महाप्रसाद ग्रहण किया

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