Asaram- आसाराम को फिर 1 जुलाई तक अंतरिम जमानत

हाईकोर्ट ने राहत दी, 31 मार्च को ढाई महीने की बेल खत्म हुई थी

जोधपुर 

जोधपुर के आश्रम में नाबालिग से रेप के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को गुजरात के बाद अब राजस्थान हाईकोर्ट से भी राहत मिली है। कोर्ट ने उसकी अंतरिम जमानत 1 जुलाई तक बढ़ा दी है।

हाईकोर्ट ने आसाराम को सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूर्व में जारी शर्तों का पालन करने के लिए कहा है। जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार की खंडपीठ में सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने आसाराम को 30 जून तक की अंतरिम जमानत दी तो वकील ने अंतिम दिन छुट्टी होने की बात कहते हुए इसे 1 जुलाई तक करने का आग्रह किया।

आसाराम 14 जनवरी से 31 मार्च तक अंतरिम जमानत पर था। ये पीरियड खत्म होने पर 1 अप्रैल को आसाराम ने सरेंडर कर दिया था। उसी रात वह प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हो गया था और अभी भी वहीं पर भर्ती है।

आसाराम के वकील निशांत बोड़ा ने बताया- मामले में 2 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। पीड़िता के वकील पीसी सोलंकी ने आसाराम पर सुप्रीम कोर्ट की प्रवचन नहीं करने की शर्त का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने आसाराम से शपथ पत्र पेश करने को कहा था। निशांत बोड़ा ने बताया- कोर्ट में आज शपथ पत्र पेश किया। कोर्ट ने सवाल किया कि आसाराम ने अंतरिम जमानत मिलने के बाद प्रवचन किए या नहीं? वहीं पीड़ित की ओर से भी एफिडेविट मांगा गया। पीड़ित पक्ष के वकील पीसी सोलंकी ने बताया कि आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई अंतरिम जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है। उन्होंने शर्त का उल्लंघन करने से संबंधित तथ्य रखे।

सरकार की जांच रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश
सरकार की ओर से भी जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की गई। इसमें उन 3 कॉन्स्टेबल के बयान भी दर्ज किए गए थे, जो अंतरिम जमानत के दौरान आसाराम के साथ रहे। उनके बयान में यही आया कि आसाराम कभी-कभार अपने दो-चार साधकों से जरूर मिला, लेकिन सार्वजनिक रूप से कहीं प्रवचन नहीं किया।

आसाराम की ओर से वकील निशांत बोड़ा ने शपथ पत्र पेश कर कोर्ट को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया गया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार की खंडपीठ ने कहा- सरकार की जांच रिपोर्ट में भी आसाराम की ओर से प्रवचन किए जाने की पुष्टि नहीं हो रही है। वहीं गुजरात हाईकोर्ट की ओर से भी मेडिकल ग्राउंड पर आसाराम को अंतरिम जमानत देने से पहले तमाम तथ्यों की जांच की जा चुकी है। ऐसे में उन्हीं मेडिकल ग्राउंड्स की दोबारा जांच की आवश्यकता नहीं है और अंतरिम जमानत नहीं देने का भी कोई ठोस आधार सामने आ रहा है।