:राजेश राज गुप्ता:
मनेन्द्रगढ़: हिंदी साहित्य भारती के प्रदेश अध्यक्ष एवं केंद्रीय कृषि मंत्रालय के हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य माननीय बलदाउ राम साहू का मनेन्द्रगढ़ आगमन से आंचलिक साहित्यिक चेतना मे साहित्यिक विकास का एक पन्ना और जुड़ गया. साहित्यकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने अपनी बाल कविताओं पर एक लंबी बातचीत की.
उन्होंने बताया कि बच्चों पर कविताएं लिखना एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि इसमें आसान शब्दों का प्रयोग और बच्चों की समझ आने वाली भाषा का प्रयोग किया जाता है. नए बाल साहित्य “भारत गौरव” साझा संग्रह के प्रकाशन के संदर्भ में चर्चा करते हुए उन्होंने मनेन्द्रगढ़ के साहित्यकारों को इस साझासंग्रह में जुड़ने का आवाहन किया.

मनेन्द्रगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार के “बीरेन्द्र श्रीवास्तव, चुनी हुई कविताए” कविता संग्रह के विश्व पुस्तक मेला में गिरीश पंकज के साथ लोकार्पण के अवसर पर दिल्ली में साहित्यिक समारोह में मुलाकात को याद किया.
“हिन्दी साहित्य भारती” संस्था के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया की राष्ट्र प्रेम की भावनाओं पर केंद्रित यह संस्था छत्तीसगढ़ के हिंदी साहित्य को आगे बढ़ाने हेतु प्रयासरत है. अपनी चर्चा में उन्होंने मनेन्द्रगढ़ के साहित्यकारों को इस संस्था से जोड़ने की मंशा व्यक्त की,जिसका मनेन्द्रगढ़ के साहित्यकारों ने स्वागत किया.
स्मरणीय है कि बलदाउ राम साहू हिंदी साहित्य भारती के प्रदेश अध्यक्ष तथा छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के भी सदस्य हैं उनकी साहित्यिक उपलब्धियों में अब तक हिंदी एवं छत्तीसगढ़ी में बाल रचनाओं के कहानियां, कविताएं, चित्र कथा एवं लोक कथाओं की 30 से अधिक पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी है.
उनके संपादन में प्रकाशित “पहाती के सुकवा” जैसी चर्चित बाल कविताओं का संग्रह बाल साहित्य में काफी चर्चा का विषय रहा है. बाल पत्रिका “देवपुत्र” मे इनकी दीवाली कविता इस समय चर्चाओं मे है. एमसीबी जिले के पर्यटन प्रभारी डॉक्टर विनोद पांडे के अनुरोध को स्वीकार करते हुए पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों ने छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ स्थित देश के एक मात्र “गोंडवाना मेरीन फॉसिल्स” का भ्रमण किया और फॉसिल्स बनने की प्रक्रिया और संरक्षण के बारे में विशेष जानकारी एकत्र की. विश्रामगृह मनेन्द्रगढ़ में आयोजित इस साहित्यिक चर्चा में हिंदी साहित्य भारती के मनेन्द्रगढ़ अंचल के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय, डॉ विनोद पांडे, वरिष्ठ साहित्यकार बीरेन्द्र श्रीवास्तव, प्रमोद बंसल, पुष्कर तिवारी, संतोष जैन, एवं आदिवासी संस्कृति संरक्षक परमेश्वर सिंह के साथ-साथ पत्रकार प्रशांत तिवारी एवं अन्य पत्रकार उपस्थित रहे.