Agri News: अब ऑफ सीजन में भी सरसों, धनिया और पालक की सब्जी…छत, बालकनी और रसोईघर में माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग

अब ऑफ सीजन में भी सरसों, मूली, धनिया, पालक, ब्रोकली और सूरजमुखी का स्वाद लिया जा सकेगा। माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग की यह तकनीक विशेष तौर पर छत, बालकनी और रसोईघर के लिए तैयार की गई है। बेहद आसान यह विधि, न्यूनतम लागत और न्यूनतम देखरेख मांगती है। यही वजह है कि सितारा हाॅटलों में माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग खूब की जा रही है।


जानिए माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग को

माइक्रोग्रीन्स वह छोटे-छोटे पौधे होते हैं, जो अंकुरण के महज 7 से 12 दिनों के भीतर कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। शुरुआती पत्तियों में पोषण तत्व भरपूर होते हैं। अनुसंधान में वयस्क पौधों की तुलना में इनमें 4 से 40 गुना अधिक पोषक तत्वों का होना पाया गया है। इस विधि में सरसों, मूली, धनिया, पालक, मेथी, सूरजमुखी और ब्रोकली की प्रजाति अनुशंसित की गई है।


माइक्रोग्रीन्स उगाने की यह प्रक्रिया

एक ट्रे। मिट्टी की मामूली मात्रा। कोकोपीट का भी उपयोग किया जा सकता है। बीज को बिछाएं और हल्का सा दबा दें। स्प्रेयर की मदद से पानी का छिड़काव करें। 2 से 3 दिन के बाद अंकुरण होता नजर आए, तब ट्रे को हल्की धूप या रोशनी में रखें। 7 से 12 दिन बाद पत्तियां तैयार हैं सब्जी और सलाद के लिए। चाहे तो जूस भी बनाया जा सकता है और हां, भोजन और नाश्ते की टेबल में सजावट भी की जा सकती है।


इसलिए माइक्रोग्रीन्स

बढ़ता शहरीकरण, घटती कृषि भूमि और कमजोर होती जल उपलब्धता। यह प्रमुख वजह रही वैकल्पिक कृषि प्रणालियों के खोज की। सितारा हाॅटलें पहले ऐसे क्षेत्र रहे जिन्होंने माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग को अपनाया। नई विधि में मिली सफलता के बाद अब माइक्रोग्रीन्स फार्मिंग घरों की ओर कदम बढ़ा चुका है जहां विस्तार की असीम संभावनाएं हैं। शुरुआती प्रयास से संकेत बेहतर प्रतिसाद के मिल रहे हैं।

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