:राजकुमार मल:
भाटापारा: सिर्फ महामाया लेकिन दुर्गति इतनी ज्यादा कि न्यूनतम 1900 रुपए और अधिकतम 2200 रुपए क्विंटल जैसी कीमत बोली जा रही है। धारणा और नीचे जाने की बनी हुई है क्योंकि प्रतिस्पर्धी खरीदी तेजी से कम होने की खबर है।
अव्यवस्था फिर से फैलती नजर आ रही है। मजबूर हैं किसान कम से कम 48 घंटे की प्रतीक्षा करने के लिए। प्रवेश से लेकर सिलाई तक का काम अभी भी दो दिन का समय ले रहा है। यह स्थिति यह बताने के लिए काफी है कि व्यवस्था बहाली को लेकर मंडी प्रशासन कोई खास उत्साहित नहीं है।
छूटा साथ सियाराम का
बारीक धान की प्रजातियों में एचएमटी, सियाराम और विष्णुभोग की आवक लगभग शून्य हो चली है। यह इसलिए क्योंकि कामकाज का हर चरण बेहिसाब समय ले रहा है। बारीक धान की प्रजातियां पड़ोस की मंडियों में जा रहीं हैं या ट्रेडर्स के जरिए चावल मिलों तक पहुंच रहीं हैं। याने बारीक धान की फसल लेने वाले किसान कृषि उपज मंडी की व्यवस्था को देखकर किनारा कर रहे हैं।

सिर्फ महामाया
रबी फसल में धान की सिर्फ महामाया की ही आवक हो रही है लेकिन 1800 से 2200 रुपए क्विंटल जैसी कीमत किसानों को हताश कर रही है। रही-सही कसर वह अव्यवस्था पूरी कर रही है, जो प्रांगण के हर हिस्से में मजबूती से पैठ बन चुकी है। इसे दूर करने की कोशिश सिरे से गायब है। यह स्थिति किसानों को ऐसे प्रांगण की तलाश के लिए विवश कर रही है, जहां समय पर कामकाज हो सकता है।
जस की तस यह समस्या
प्रवेश के लिए 12 से 20 घंटे की प्रतीक्षा। उतराई के लिए फिर वही इंतजार। जगह मिल गई तो कटाई शीघ्र हो जाती है लेकिन नीलामी के बाद की सभी व्यवस्था बेवजह अर्थ एवं समय का व्यय मानी जा रही है। कारण सिर्फ एक- पर्याप्त संख्या में कार्यबल का नहीं होना। इसे लेकर मंडी प्रशासन कभी भी गंभीर नजर नहीं आया, जिसका खामियाजा किसान उठा रहे हैं।