दुर्ग। जयंती स्टेडियम दुर्ग में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम वाले बाबा) की हनुमंत कथा का समापन तो हो गया, लेकिन इस कथा ने छत्तीसगढ़ में राजनीतिक और धार्मिक विवादों की नई चिंगारी जला दी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले बाबा धीरेंद्र शास्त्री पर निशाना साधा था, जिसके जवाब में शास्त्री ने भी तीखा पलटवार किया। इस बयानबाजी के बाद अब विवाद और गरमा गया है।

इसी बीच अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर जोरदार हमला बोला है। महंत राजू दास ने कहा, “भूपेश बघेल के परिवार में पांच संत हुए हैं, लेकिन रावण किसका बेटा था? संत का ही बेटा था। रावण प्रकांड विद्वान था, ब्राह्मण था, भोलेनाथ को मानता था, लेकिन उसने सनातन संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया। इसलिए मेरा कहना है कि भूपेश बघेल रावण का दूसरा रूप हैं।”
महंत राजू दास ने आगे कहा कि भूपेश बघेल कहीं न कहीं ईसाई मिशनरियों से प्रेरित दिखाई देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया, “ईसाई मिशनरियों का धंधा पहले अच्छा चल रहा था, लेकिन अब धर्मांतरण का कारोबार कम हो रहा है। इसलिए उन्हें बाबा बागेश्वर धाम और प्रदीप मिश्रा जैसे संत खराब लगते हैं। वे साधु-संतों को बीजेपी का एजेंट बताते हैं। महात्मा गांधी की पार्टी होने के बावजूद ऐसी ओछी टिप्पणियां करते हैं। रामराज की परिकल्पना तो महात्मा गांधी ने की थी, क्या कांग्रेस अब उनके विचारों को भी नहीं मानती? किसी का कल्याण करना क्या किसी पार्टी का एकाधिकार है?”
महंत ने कहा, “सभी परेशान लोग बाबा बागेश्वर के दरबार में जाते हैं। लोगों के मन में संतों के प्रति गहरी श्रद्धा है। भूपेश बघेल संतों का अपमान कर रहे हैं, जो लाखों लोगों की आस्था का अपमान है। ऐसे ही विचारों के कारण कांग्रेस पार्टी समाप्त हो रही है।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “एक तरफ भूपेश बघेल कहते हैं कि उनके परिवार में इतने संत हुए, लेकिन उनकी कार्यशैली, उनके भाव और उनकी भाषा शुद्ध रूप से सनातन का विरोध करती है। वे चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरी निर्बाध काम करें और सनातन की भावना जगाने वाले संत यहां न रहें।”
यह बयान छत्तीसगढ़ में राजनीतिक-धार्मिक बहस को और तीखा बनाने वाला है। महंत राजू दास के इस बयान के बाद अब देखना होगा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल या कांग्रेस की ओर से क्या जवाब आता है।