रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विजन 2047 पर हुई विशेष चर्चा के दौरान सदन में उस समय विवाद की स्थिति बन गई, जब भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने चर्चा की प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिए। उनकी टिप्पणियों से नाराज मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल खड़े हुए और अध्यक्ष से आपत्ति जताते हुए व्यक्तिगत आरोप वाले अंश को कार्यवाही से विलोपित करने की मांग की।
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने आसंदी से प्रश्न उठाते हुए कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि सदन में किस प्रक्रिया और किस नियम के तहत चर्चा हो रही है। उन्होंने पूछा कि क्या यह चर्चा शासकीय संकल्प के अंतर्गत हो रही है, क्या चर्चा के बाद मंत्री जवाब देंगे या केवल सदस्यों को अपनी बात रखनी है। उन्होंने कहा कि चर्चा प्रारंभ होने से पहले नियम और प्रक्रिया की जानकारी सदन को दी जानी चाहिए थी।
सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने छत्तीसगढ़ के विकास का रोडमैप विजन 2047 के माध्यम से सदन के समक्ष प्रस्तुत किया। इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए अजय चंद्राकर ने कहा कि सदस्यों को यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें पक्ष में बोलना है, विपक्ष में बोलना है या विजन को लेकर सुझाव देना है।
अजय चंद्राकर ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को विजन डॉक्यूमेंट के लिए बधाई देते हुए कहा कि अब तक रोजगार की परिभाषा तय नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि कृषि का रकबा लगातार घट रहा है, फसलों के उत्पादन में कमी आई है, एलाइड सेक्टर में भी गिरावट है और लघु व सूक्ष्म उद्योगों से जुड़ी योजनाएं अधर में हैं। उन्होंने क्षेत्रीय असंतुलन की ओर भी ध्यान दिलाया।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की लगभग 97 प्रतिशत आबादी अनस्किल्ड है और यह स्पष्ट नहीं है कि उद्योग नीति को लागू किया जाना है या उसमें संशोधन किया जाना है। उन्होंने मेक इन छत्तीसगढ़ की अवधारणा, कुटीर उद्योगों के लिए नीति और राज्य के लोगों के लिए ठोस रोजगार नीति के अभाव पर सवाल उठाए। साथ ही वित्त मंत्री से उदार दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।
अंजोर विजन को लेकर सवाल उठाते हुए अजय चंद्राकर ने कहा कि गरीबी उन्मूलन पर चर्चा नहीं की गई है, रोजगार की परिभाषा स्पष्ट नहीं है, 1.25 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि कम हो चुकी है और सिंचाई का दायरा भी घटा है। उन्होंने यह भी कहा कि सतही जल के उपयोग को लेकर कोई स्पष्ट नीति सामने नहीं आई है।