रायपुर। कस्टम मिलिंग घोटाले में पेश हुए चालान ने कई चौकाने वाले खुलासे किए हैं। घोटाले में पुलिस, CSEB और अन्य विभागों के कई अधिकारी व कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं।
निलंबित ASI सी.बी. वर्मा और CSEB के अशोक कुमार पर भी घोटाले की रकम से लाभ उठाने के आरोप लगे हैं। EOW, सीबी वर्मा से जल्द पूछताछ करने वाली है। उल्लेखनीय है कि वर्मा महादेव घोटाले में भी वर्षों तक जेल में रह चुका है।


मुख्य आरोपी व नेटवर्क का खुलासा
चालान में कारोबारी अनवर ढेबर, विकाल अग्रवाल उर्फ सुब्बू, और दीपेन चावड़ा की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है। इन तीनों पर घोटाले के पैसों को इकट्ठा करने, पहुंचाने और अलग-अलग ठिकानों तक खपाने का आरोप है। दीपेन चावड़ा इस नेटवर्क का मुख्य कैश ऑपरेटर था, जो घोटाले की नकदी रकम की रिसिविंग और डिलीवरी संभालता था। चालान के मुताबिक, दीपेन की गतिविधियाँ अनवर ढेबर के सीधे निर्देशों पर होती थीं।
नेताओं के घरों तक पहुंचता था कैश
जांच रिपोर्ट बताती है कि दीपेन चावड़ा द्वारा रामगोपाल अग्रवाल समेत कई नेताओं के घर पैसों की डिलीवरी करवाई जाती थी। भिलाई-दुर्ग, मंगल भवन और न्यू खुर्सीपार स्थित कई स्थानों पर 1-1 करोड़ रुपए से भरे बैग नियमित रूप से छोड़े जाते थे।

दिपेन चावड़ा के लिए अंकुर पालीवाल और सूरज पवार काम करते थे दोनों का काम था बताए गए पते पर पैसे पहुंचाना और बैग उठाकर आगे की डिलीवरी सुनिश्चित करना। सरकारी गवाह बनने के बाद इन्हीं लोगों ने कई महत्वपूर्ण राज खोले हैं।
व्हाट्सऐप चैट और कोडवर्ड में होती थी बातचीत
अनवर ढेबर और विकास के बीच हुई व्हाट्सऐप चैट से दीपेन चावड़ा की भूमिका की विस्तृत पुष्टि हुई है। घोटाले के दौरान पैसे की आवाजाही फेसटाइम कॉल, कोडवर्ड, और निजी चैट के माध्यम से तय की जाती थी। जांच में सामने आया है कि रोजाना 10-10 कार्टून या 10-10 बैग कैश की नियमित डिलीवरी होती थी।
पूरे सिस्टम पर सवाल
पेश हुए चालान में जिन विभागों और अधिकारियों का नाम सामने आया है, उसने कस्टम मिलिंग घोटाले को और गंभीर बना दिया है। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह घोटाला कई स्तरों पर फैले नेटवर्क के सहारे चलाया जा रहा था। EOW की आगे की पूछताछ और संभावित गिरफ्तारियों पर अब सबकी नज़रें टिकी हैं।