छत्तीसगढ़ के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर गाइडलाइन रेट में हाल ही में हुई 100–800% वृद्धि पर आपत्ति जताई. उन्होंने इसे जनता के लिए भारी और जनविरोधी बताया. सांसद ने तुरंत स्थगन की मांग की और कहा कि संपत्ति टैक्स वृद्धि से आम नागरिक और छोटे व्यवसायियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा.
रायपुर. छत्तीसगढ़ के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर राज्य सरकार द्वारा घोषित गाइडलाइन दरों में हाल ही में की गई वृद्धि पर आपत्ति जताई है. सांसद ने इस बढ़ोतरी को जनता के लिए भारी और जनविरोधी बताते हुए तुरंत स्थगन की मांग की है.

सांसद बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि लोकतंत्र में जनभावनाओं का सम्मान सबसे महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जनता पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं डाला जाना चाहिए. इसी दृष्टि से उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र में स्पष्ट रूप से अनुरोध किया है कि गाइडलाइन दरों में की गई 100 से 800 प्रतिशत तक की वृद्धि को तत्काल प्रभाव से रोका जाए और इस पर पुनर्विचार किया जाए.सांसद ने पत्र में लिखा कि इस तरह की वृद्धि सीधे आम जनता की जेब पर असर डालती है और इसके कारण लोगों में असंतोष पैदा हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निर्णय जनहित और समाज के आर्थिक स्थायित्व के अनुकूल हों.


गाइडलाइन रेट क्या है?
गाइडलाइन रेट, जिसे कभी-कभी “स्टाम्प ड्यूटी या बाजार दर” भी कहा जाता है, किसी भी संपत्ति (जमीन या मकान) को खरीदने-बेचने पर सरकार द्वारा तय की गई न्यूनतम कीमत होती है. इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संपत्ति का सौदा वास्तविक मूल्य के अनुसार हो और सरकार को उचित राजस्व मिले. यदि कोई संपत्ति इससे कम दर पर बिकती है, तो सरकार अतिरिक्त टैक्स लगा सकती है. गाइडलाइन दरों में वृद्धि का मतलब है कि अब जमीन या मकान की खरीद-बिक्री पर अधिक टैक्स या स्टाम्प ड्यूटी लगेगी. सांसद अग्रवाल का कहना है कि वर्तमान में यह बढ़ोतरी 100 से 800 प्रतिशत तक की गई है, जो कि आम नागरिक और छोटे व्यवसायियों के लिए भारी आर्थिक बोझ बन सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे निर्णय लेने से पहले जनता की राय अवश्य लेनी चाहिए और उनके हितों की रक्षा करनी चाहिए.
इस पत्र के माध्यम से सांसद बृजमोहन ने यह संदेश भी दिया कि वे जनता के अधिकारों और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए हमेशा सक्रिय रहेंगे. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि गाइडलाइन दरों में वृद्धि को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाए और एक संतुलित, न्यायसंगत और जनहितकारी निर्णय लिया जाए.इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर चर्चा तेज होने की संभावना है, क्योंकि संपत्ति की खरीद-बिक्री और टैक्स बढ़ोतरी सीधे जनता को प्रभावित करती है.