छत्तीसगढ़ में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, मतदाता सूची में गड़बड़ियों का दौर भी तेज होता जा रहा है। कहीं नाम गायब मिल रहे हैं, तो कहीं विवरण में गंभीर त्रुटियाँ दर्ज हो रही हैं। इन शिकायतों को लेकर कांग्रेस नेता लगातार निर्वाचन अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं।

पूर्व विधायक विकास उपाध्याय और पूर्व रायपुर महापौर एजाज़ ढेबर ने बुधवार को चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपकर आरोप लगाया कि SIR प्रक्रिया को बिना पर्याप्त तैयारी के जल्दबाजी में लागू कर दिया गया, जिसके चलते नागरिकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
2003 की सूची से 80 लोगों के नाम गायब — उपाध्याय नाराज
विकास उपाध्याय ने बताया कि रामसागर पारा की रामजी हलवाई गली के करीब 80 नागरिकों के नाम 2003 की मतदाता सूची से गायब पाए गए। उन्होंने निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात कर इस मामले की शिकायत दर्ज कराई।

मीडिया से चर्चा में उपाध्याय ने कहा—
“इन्हीं लोगों ने 1998 में मुझे वोट किया था। अब अचानक इनके नाम गायब हो गए। बीएलओ को खुद जानकारी नहीं है। लोगों से कहा जा रहा है कि बिना पुरानी सूची दिखाए बस फॉर्म भर दीजिए। यह प्रक्रिया बेहद लापरवाही से लागू की गई है।”
उपाध्याय का कहना है कि चुनाव आयोग को SIR शुरू करने से पहले बीएलओ और सुपरवाइजरों को ठीक से प्रशिक्षित करना चाहिए था, ताकि जनता को इधर-उधर भटकना न पड़े।
मतदान अधिकार पर हमला— एजाज़ ढेबर
पूर्व महापौर एजाज़ ढेबर ने भी मतदाता सूची में व्यापक गड़बड़ी का मुद्दा उठाते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त को ज्ञापन सौंपा।

ढेबर ने कहा—
“यह स्थिति सिर्फ चुनावी व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि नागरिकों के मतदान के संवैधानिक अधिकार पर सीधा हमला है।”
ज्ञापन में बताया गया कि 2003 से लगातार मतदान कर रहे हजारों नागरिकों के नाम बिना किसी पूर्व सूचना या सत्यापन के सूची से हटा दिए गए हैं। उन्होंने इसे “चौंकाने वाली और अस्वीकार्य चूक” बताया।
SIR फॉर्म जमा, पर पावती नहीं— लोग परेशान
ढेबर ने यह भी कहा कि कई लोगों ने ऑनलाइन और ऑफ़लाइन SIR फॉर्म जमा किए,
लेकिन किसी को पावती/रसीद नहीं मिली। इसके चलते यह पता ही नहीं चल पा रहा कि उनके आवेदन की स्थिति क्या है।
“बिना रसीद के नागरिक यह साबित भी नहीं कर सकते कि उन्होंने आवेदन दिया था,” उन्होंने कहा।
‘कटे नामों’ के लिए न पोर्टल, न प्रक्रिया
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि जिन मतदाताओं के नाम सूची से हट गए हैं,
उनके लिए कोई अलग पोर्टल या मॉड्यूल उपलब्ध नहीं है। न ही स्पष्ट प्रक्रिया बताई गई है कि वे अपना नाम कैसे वापस जुड़वा सकते हैं।
ढेबर ने कहा—
“लोग समझ नहीं पा रहे कि शिकायत कहाँ करें, किसके पास जाएँ। यह लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक स्थिति है।”
कांग्रेस नेताओं ने चुनाव आयोग से मांग की है कि वह SIR प्रक्रिया की खामियों को तत्काल दूर करे, सभी नामों की पुन: जाँच कराए और नागरिकों को पारदर्शी, सुगम और भरोसेमंद प्रक्रिया उपलब्ध कराए।