‘माटी’ फिल्म ने आश्रम के बच्चों में जगाई पहचान और जिम्मेदारी की भावना

जगदलपुर। माता रुक्मणि सेवा आश्रम के 101 बच्चों के लिए आयोजित ‘माटी’ फिल्म का विशेष शो भावनात्मक अनुभव बन गया। फिल्म प्रदर्शन के दौरान पद्मश्री धर्मपाल सैनी और समाजसेवी अनिल लुंकड़ मौजूद रहे। उन्होंने बच्चों से कहा कि यह फिल्म केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि पहचान, संस्कृति और जिम्मेदारी का संदेश देने वाली कथा है।

फिल्म के बाद संवाद सत्र में धर्मपाल सैनी ने कहा कि ‘माटी’ सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि आत्मपहचान की पुकार है। उन्होंने इसे समाज को दिशा देने वाला प्रयास बताते हुए कहा कि हर जिम्मेदार नागरिक और जनप्रतिनिधि को ऐसी फिल्मों को अवश्य देखना चाहिए। अनिल लुंकड़ ने बच्चों में संस्कृति, परंपरा और अपने मूल से जुड़े रहने की भावना को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

आश्रम के बच्चों ने बताया कि फिल्म ने उनके भीतर अपने क्षेत्र और समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा जगाई है। संघर्ष, प्रेम और आत्मत्याग पर आधारित दृश्यों ने उन पर गहरा प्रभाव छोड़ा। बच्चों का कहना है कि फिल्म ने उन्हें जंगल और जमीन से जुड़े अपने भावों को नए रूप में समझने का अवसर दिया।

सैनी ने कहा कि सकारात्मक मूल्यों को प्रस्तुत करने वाली फिल्मों का प्रभाव पीढ़ियों तक रहता है। आश्रम लंबे समय से बस्तर के बच्चों में शिक्षा और चरित्र निर्माण का कार्य कर रहा है।

फिल्म देखने के बाद बच्चों में सामाजिक जिम्मेदारी की भावना स्पष्ट रूप से दिखी। अतिथियों ने उन्हें समाज में परिवर्तन के वाहक बनने की प्रेरणा दी और फिल्म के संदेशों को जीवन में अपनाने की अपील की।

यह विशेष शो बच्चों के लिए संस्कृति, सीख और आत्मविश्वास का महत्वपूर्ण संगम साबित हुआ। आश्रम प्रबंधन ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों की सोच को सकारात्मक दिशा देने में सहायक होते हैं। जगदलपुर में हुआ यह आयोजन शिक्षा और संस्कृति के समन्वय का उदाहरण बनकर उभरा।

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