दंतेवाड़ा। जिले में सरकारी स्वास्थ्य वाहनों की व्यवस्था चरमरा गई है, जिससे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं गंभीर संकट का सामना कर रही हैं। 108 संजीवनी एक्सप्रेस के कई वाहन महीनों से बंद हैं, जिसके कारण मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए ऑटो और टैक्सी का सहारा लेना पड़ रहा है। अलग-अलग अस्पतालों को उपलब्ध कराई गई सात एंबुलेंस कबाड़ की हालत में खड़ी हैं। कहीं टायर फट चुके हैं, कहीं इंजन खराब है, जबकि कई वाहन 1 लाख किलोमीटर से अधिक चलने के बाद पूरी तरह बंद हो चुके हैं। कंपनी द्वारा पांच साल पुराने वाहनों को बदलने की प्रक्रिया शुरू न होने से हालात और बिगड़ गए हैं। जिला अस्पताल की 108 एंबुलेंस को अब कम स्टाफ में 100 किलोमीटर दूर के गांवों तक जाना पड़ रहा है।
102 महतारी एक्सप्रेस की स्थिति भी चुनौतीपूर्ण है। वाहनों में मेडिकल स्टाफ की कमी के कारण आपात स्थिति को संभालना मुश्किल हो रहा है। कई गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व अवस्था में ऑटो से अस्पताल लाना पड़ रहा है। गोंगपाल से कुआकोंडा तक एक महिला को बेहोशी की हालत में ग्रामीणों को 500 रुपये देकर ऑटो में लाना पड़ा। फोन करने पर एंबुलेंस की ओर से जवाब मिला कि वाहन 3 से 4 घंटे बाद ही उपलब्ध होगा। कुआकोंडा, कटेकल्याण, गीदम और दंतेवाड़ा चारों ब्लॉकों में यह अव्यवस्था बड़ा संकट बन चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि रात के समय मरीजों को अस्पताल पहुंचाना सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है। स्थानीय लोगों की नाराजगी बढ़ रही है और वे तत्काल सुधार की मांग कर रहे हैं।
कई गांवों में अब भी स्वास्थ्य वाहनों की उपलब्धता नहीं है। प्रशासन जल्द व्यवस्था सुधारने का आश्वासन दे रहा है, लेकिन जमीनी हालात अभी भी गंभीर बने हुए हैं। ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं की यह खामियां जल्द दूर होंगी।