रायपुर। गांजा तस्करी के खिलाफ चल रहे अभियान को बड़ी सफलता मिली है। रायपुर स्थित एनडीपीएस विशेष न्यायालय ने तीन आरोपियों—सूर्यकांत नाग, उमेश मनहीरा और धीरेन्द्र मिश्रा—को दस-दस वर्ष के कठोर कारावास और एक-एक लाख रुपये के आर्थिक दंड की सजा सुनाई है। अदालत ने यह निर्णय 16 गवाहों की गवाही, पुलिस की कार्रवाई और केस डायरी में दर्ज साक्ष्यों के आधार पर दिया।
मुख्य आरोपी आदतन तस्कर घोषित
मामले में मुख्य आरोपी सूर्यकांत नाग को अदालत ने आदतन तस्कर माना। जांच में यह भी सामने आया कि उसकी राजनीतिक पहुंच रही है और वह सरायपाली के पूर्व कांग्रेस विधायक किस्मत लाल नंद का रिश्तेदार है। अदालत ने स्पष्ट किया कि निर्णय केवल साक्ष्यों पर आधारित है, राजनीतिक संबंधों का निर्णय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
आमानाका थाना पुलिस की कार्रवाई
यह मामला वर्ष 2020–21 का है, जब आमानाका थाना पुलिस ने विशेष अभियान के दौरान तीनों आरोपियों को बड़ी मात्रा में अवैध गांजा के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस ने मौके से गांजा, वाहन और तस्करी से जुड़े अन्य सामान जब्त किए थे। मामले में बरामद गांजा, मोबाइल कॉल डिटेल्स और तस्करी नेटवर्क से जुड़े कई लिंक महत्वपूर्ण साक्ष्य रहे।
सोलह गवाहों की गवाही से मजबूत हुआ मामला
विशेष अदालत में कुल 16 गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए, जिनमें जांच अधिकारी, गिरफ्तारी के दौरान मौजूद पुलिसकर्मी और जब्ती पंच शामिल थे। गवाहों के सुसंगत बयानों और प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया।
विशेष न्यायधीश ने दी कठोर सजा
एनडीपीएस विशेष न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा ने कहा कि मादक पदार्थों का व्यापार समाज और युवा पीढ़ी के लिए गंभीर खतरा है, इसलिए दोषियों को कठोर दंड देना आवश्यक है। अदालत ने एनडीपीएस एक्ट की कठोरता का हवाला देते हुए यह सजा सुनाई।
नशे के खिलाफ सख्त रुख का संकेत
इस फैसले ने प्रदेश में सक्रिय नशीले पदार्थों के तस्करों को स्पष्ट संदेश दिया है कि ऐसे अपराधों पर कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। बढ़ती तस्करी को रोकने और युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए पुलिस और प्रशासन की कार्रवाइयों के बीच अदालत का यह फैसला एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।