रायपुर: दो महिला निर्देशकों के नाटक के साथ पांच दिवसीय
मुक्तिबोध राष्ट्रीय नाट्य समारोह का शानदार आगाज होगा. राजधानी के रंग मंदिर में
देश भर के जाने माने साहित्यकार,रंगकर्मी अपनी
प्रतिभा का जलवा बिखेरेंगे. पांच दिवसीय इस उत्सव में कहानी और
नाटकों का मंचन होगा साथ ही कविता पाठ भी किया जाएगा.
पहले दिन 12 नवंबर को शाम 7 बजे उषा प्रियंवदा की कहानी वापसी का मंचन होगा. इस कहानी की मंचीय प्रस्तुति रचना मिश्रा के निर्देशन में होगा. उषा प्रियंवदा की कहानी ‘वापसी’ की कथावस्तु गजाधर बाबू के चरित्र के इर्द-गिर्द घूमती है, जो 35 साल की नौकरी के बाद अपने परिवार के पास लौटने पर उपेक्षा का शिकार होते हैं।
यह कहानी संयुक्त परिवार के विघटन, दो पीढ़ियों के बीच अंतर और आधुनिक मूल्यों के विघटन की विडंबना को दर्शाती है, जहाँ पिता परिवार के लिए सिर्फ एक “धनोपार्जन” का साधन बनकर रह जाता है और उसे अपने ही घर में परायापन महसूस होता है.

अंततः, गजाधर बाबू इस अकेलेपन से दुखी होकर एक नई नौकरी स्वीकार कर लेते हैं और उसी दुनिया में लौट जाते हैं, जहाँ वे परिवार से दूर रहते थे। इस कहानी की संवेदना को और गजाधर की पीड़ा को लोगों तक पहुंचाने उसका मर्म समझाने के लिए इसकी प्रस्तति की जाएगी.
इसके बाद शाम 7 बजकर 45 मिनट से दिनेश ठाकुर की कहानी आपस की बात का मंचन होगा. इसका निर्देशन प्रीता माथुर ठाकुर ने किया है.
प्रीता माथुर ठाकुर ने बताया कि प्रसिद्ध रूसी लेखक एंटोन चेकोव ने कुछ खूबसूरत कहानियाँ लिखी थीं। ये कहानियाँ हास्यप्रद थीं, लेकिन शोषण के बारे में एक महत्वपूर्ण संदेश देती थीं। सुप्रसिद्ध, वरिष्ठ नाटककार, रंगमंच और सिनेमा अभिनेता और निर्देशक, दिनेश ठाकुर ने इन कहानियों को रूपांतरित करके एक मनोरंजक नाटक, “आपस की बात” के रूप में प्रस्तुत किया।

एक मनोरंजक, अनौपचारिक बातचीत में, लेखक अपने मन में जगह बनाने के लिए संघर्षरत विभिन्न कहानियों के बारे में बात करते हैं और उनमें से चार को अपने दर्शकों के सामने, पात्रों की पूरी टोली के साथ, एक नाटक के रूप में प्रस्तुत करते हैं। ये पात्र समाज के विभिन्न वर्गों और स्तरों से आते हैं और बहुत अलग-अलग परिस्थितियों में रखे गए हैं।

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