राष्ट्रीय मुक्तिबोध नाट्य समारोह: दानवीर कर्ण के संघर्ष और आत्मसम्मान की गाथा “रश्मिरथी” का होगा मंचन

राष्ट्रीय मुक्तिबोध नाट्य समारोह के दूसरे दिन यानि 13 नवंबर को रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की अमर कृति “रश्मिरथी” का भी मंचन होगा. “रश्मिरथी”भारतीय साहित्य का वह महाकाव्य है, जिसमें महाभारत के रणभूमि में जन्मे नायक दानवीर कर्ण के जीवन, संघर्ष और आत्मसम्मान की गाथा अंकित है।


कर्ण जो सूर्यपुत्र होते हुए भी समाज के पूर्वाग्रहों, वर्ग और जन्म की दीवारों से जूझता है । ‘रश्मिरथी’ उस प्रकाश का प्रतीक है जो न्याय, करुणा और मानवीय गरिमा के लिए संघर्षरत रहता है। इसी काव्य को एकल अभिनय के रूप में रूपांतरित कर रंगमंच पर प्रस्तुत करने का अद्भुत कार्य किया है अभिनेता एवं निर्देशक हरीश हरिऔध ने।


यह प्रस्तुति इतिहास में पहली बार सम्पूर्ण 108 पृष्ठों के खंडकाव्य को एक ही मंच पर, एक ही अभिनेता द्वारा जीवंत करने का प्रयास है। अब तक इस प्रकार की पूर्ण प्रस्तुति किसी ने नहीं की है। यही इसे अद्वितीय और ऐतिहासिक बनाती है।


“रश्मिरथी एकल अभिनय का आरंभ 27 मार्च 2024, विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर हुआ।


अब तक 20 प्रस्तुतियाँ देश के विभिन्न शहरों में सफलतापूर्वक हो चुकी हैं, और 21वीं प्रस्तुति रायपुर के रंगमंदिर, गांधी चौक में होने जा रही है।
इस प्रस्तुति को देश के कई प्रख्यात अभिनेताओं और रंगकर्मियों ने देखकर इसकी कलात्मक गहराई, अभिनय की तीव्रता और नाट्यशास्त्रीय अनुशासन की सराहना की है।
कई वरिष्ठ कलाकार इसे देखने की उत्सुकता व्यक्त कर चुके हैं।


हरीश हरिऔध का यह प्रयास केवल अभिनय नहीं, बल्कि कर्ण के चरित्र के माध्यम से मानवता, धर्म और स्वाभिमान की उस ज्योति को पुनः प्रज्ज्वलित करने का संकल्प है, जो दिनकर की कविता के भीतर जलती है। विपदाओं में जो न डगमगाया, सत्य पर अडिग रहा वही कर्ण था।

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