:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली :-सरायपाली से सरसीवां मार्ग लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत आता है किंतु नगर के थाना चौक से पतेरापाली तक का लगभग आधा किलोमीटर का क्षेत्र नगरपालिका के अंतर्गत आता है । इस सड़क की देखरेख की जिम्मेदारी जहां पीडब्ल्यूडी की है तो वही नगरपालिका की भी जिम्मेदारी है कि वह नगरवासियो को सुलभ , सुरक्षित व अच्छी सड़क उप्लब्ध कराये किंतु दोनों विभाग इस जिम्मेदारी का निर्वहन नही कर रहे हैं जिससे आये दिनों प्रतिदिन इस क्षेत्र के दुकानदार , राहगीरो व सैकड़ो स्कूली बच्चे धूल , गड्डो व असुरक्षित यातायात से हलकान व परेशान है ।

क्षेत्र का यह दुर्भाग्य है कि इस मार्ग के 22 किलोमीटर सीमा तक सड़क मरम्मत व डामरीकरण हेतु पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा 22 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है किंतु इस प्रस्ताव को सरकार से पास कराये जाने के लिए न सत्ताधारी के कथित सक्रिय नेता व न ही जनप्रतिनिधियों द्वारा इस ओर ध्यान दिया जा रहा है । इनकी अदूरदर्शिता व लापरवाही का नुकसान इस मार्ग के किनारे बसे व्यवसायियों , वहां चालको , नगरवासियो व सैकड़ो स्कूली बच्चो को उठाना पड़ रहा है ।
ज्ञातव्य हो की सरायपाली से सरसीवां मार्ग इस क्षेत्र का व्यवसायिक व परिवहन की दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण मार्ग है । यह मार्ग बिलासपुर , कोरबा , चाम्पा , बलौदाबाजार , रायगढ़ आदि बड़े शहरों व राज्यो को जोड़ता है । प्रतिदिन विभिन्न निजी , व्यवसायिक व उच्चन्यायालय कार्य से जाने हेतु इसी मार्ग का उपयोग किया जाता है । किंतु सरायपाली से सरसीवां तक के 40 किलोमीटर की दूरी में लगभग 22 किलोमीटर सरायपाली व 18 किलोमीटर सरसीवां अनुविभाग में आता है ।

किंतु इस मार्ग की हालत काफी खराब हो चुकी है । 1 घंटे के सफर को पूरा करने में ढाई घंटे का समय लगता है । ज़गह जगह बड़े बड़े गड्ढे व सड़को से उखड़ चुके डामर सुरक्षित यातायात के लिए बिल्कुल ही असुरक्षित है ।
इस मार्ग पर थाना चौक से पतेरापाली तक लगभग आधा किलोमीटर का क्षेत्र नगरपालिका के अंतर्गत आता है। इसी जर्जर मार्ग के किनारे ही नगरपालिका का कार्यालय भी है व इसी मार्ग से अधिकारी , अध्यक्ष व चुने हुवे पार्षद भी कार्यालय जाते हैं । जिन अध्यक्ष व पार्षदों पर नगरवासियों को बेहतर , सुगम व सुरक्षित सुविधएं प्रदान किये जाने की जिम्मेदारी है वही लोग इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते नजर आ रहे हैं । इस क्षेत्र में लगभग 8 -10 हजार की घनी आबादी है साथ ही सड़क किनारे व्यवसायिक केंद्रों के साथ सैकड़ो बच्चे स्कूल व कालेज जाते हैं । परिवहन व यात्री गाड़ियों के लिए यह एक प्रमुख मार्ग होने के कारण हमेशा यहां से सैकड़ो छोटी बड़ी वाहनों का संचालन होता है । सड़क अपेक्षाकृत कम चौड़ी होने के कारण एक साथ जब दो बड़ी गाड़ियां क्रॉस होती है तो अन्य वाहनो व पैदल यात्रियों का निकलना मुश्किल हो जाता है ।

इस स्थान पर कुछ घरों का पानी सड़क में छोड़ दिए जाने व नगरपालिका के सार्वजनिक नलों में टोंटी के अभाव में बहता पानी सड़क में आ जाने से जगह जगह गड्ढों में पानी भर जाता है । तो वही अनेक स्थानों पर सड़क से डामर उखड़ जाने से एक भी ट्रके गुजरने के बाद पूरा क्षेत्र धूल से सरोबार हो जाता है । सड़क में लगातार उड़ने वाले धूल से बचने अपने घरों व व्यावसायिक दुकानो में लोग प्लास्टिक लगाने मजबूर हो गये हैं । तो वहीं धूल भरी सड़क व पानी से भरे खतरनाक गड्ढों को देखते हुवे स्कूल कालेज भेजने से भी पालकों को चिंता होने लगी है कि कही कोई अनहोनी न हो जाये । इन गड्ढों में धोखे से कई बच्चे गिर भी चूके हैं ।
खराब सड़को की वजह से वाहनों के टायर पंचर होने या खराब होने की शिकायतें कम आती थी पर पिछले 2 वर्षों से अधिक इसकी शिकायत ज्यादा आ रही है और गाड़ियों के टायर समय से पहले ही खराब हो रहे हैं। इसी तरह कार के सस्पेंशन भी गड्डों के कारण प्रभावित हो रहे हैं। दूसरी ओर धूल के कारण लोगों को एलजी, स्किन इंफेक्शन, दमा, अस्थमा, सर्दी-खांसी सहित आंख के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। सड़कों पर सबसे अधिक भीड़ सुबह और शाम को रहती है। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी इस समय आने-जाने वालों को ही होती है। धूल से होने वाली परेशानी के कारण सरकारी और निजी अस्पतालों में अस्थमा, एलर्जी, खांसी और त्वचा रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। डॉक्टरों के अनुसार, ये धूल कण फेफड़ों और त्वचा पर सीधा प्रभाव डालते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ और त्वचा में जलन होती है। मरीजों के बढ़ने के साथ ही मेडिकल दुकानों में एलजी, खांसी और अस्थमा की दवाइयों की बिक्री में भी बढ़ोतरी हुई है।

इन खराब सड़को के कारण आम जनता के साथ ही ट्रकों व यात्रीवाहन चालको व मालिको को काफी आर्थिक व समय का नुकसान उठाना पड़ रहा है । उस सम्बंध में ट्रक व्यवसायी भोज अग्रवाल , दौलत अग्रवाल , लालचंद अग्रवाल व सौरव गोयल ने बताया कि गाड़ियों के टायर 2-3 साल की जगह एक – डेढ़ साल में ही खराब हो रहें हैं ।सड़को में कही भी टायरों के फटने व पंचर होने की शिकायतें आम हैं । इससे समय व आर्थिक नुकसान अधिक हो रहा है ।इसके साथ ही ट्रकों व वाहनों के अलाइनमेंट बिगड़ने, रिम के मुड़ने की शिकायतें भी बढ़ गई है।
शहर के एक प्रमुख स्टैंडर्ड टायर के संचालक इम्तियाज इम्मू व छत्तीसगढ़ टायर के संचालक मो.नफीस ने बताया कि टायरों का फटना, रिम का मुड़ना, सस्पेंशन की खराबी, पहियों का अलाइनमेंट बिगड़ना शामिल है। गड्ढ़ों में जोर से टकराने पर ये क्षति हो सकती है, जिससे कार चलाने में अस्थिरता आ सकती है और महंगी मरम्मत की जरूरत पड़ सकती है। हालाकि कारों में एक लाख किलोमीटर तक की वारंटी होती है पर अत्यधिक झटकों की वजह से ऑयल या हवा का लीक हो जाना जैसे समस्याएं आती हैं। इसके अलावा ड्राईवर को भी शारीरिक थकावट होती है। वाहन मेकेनिक बौना मिस्त्री ने बताया कि सड़कें खराब होने से होने वाले दुष्प्रभाव पर अगर नजर डालें तो गाड़ियों के सस्पेंशन स्टीयरिंग ब्रेक टायर एवं चेसिस की खराबी समय से पूर्व ही हो सकती है, इन स्थितियों में गाड़ी मालिक को मरम्मत में अत्यधिक खर्च से गुजरना होता है।
ज्ञातव्य हो कि जर्जर हो चुके इस मार्ग के मरम्मत व डामरीकरण किये जाने हेतु लोक निर्माण विभाग द्वारा एक वर्ष पूर्व 22 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है । किंतु सरकार , चुने हुवे जनप्रतिनिधियों व स्थानीय भाजपा नेताओं के अदूरदर्शी निर्णय व गंभीरता से इस प्रस्ताव पर ध्यान नही दिए जाने के कारण इस सड़क का जीर्णोद्धार नही हो पा रहा है जिसकी वजह से हजारों लोग , छात्र छात्राएं , व्यवसायी व वाहन चालकों को अच्छी सड़क की सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है ।