:राघवेंद्र पांडे:
रायपुर। राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पुलिस
जहां लगातार मुहिम चला रही है, वहीं शहर के अधिकांश प्राइवेट स्कूलों के
बाहर रोजाना बच्चों की जान खतरे में डाली जा रही है।
ऑटो और ई-रिक्शा चालकों द्वारा ओवरलोडिंग कर बच्चों को स्कूल
लाने ले जाने का सिलसिला लगातार जारी है। स्थिति इतनी गंभीर है
कि कई बच्चे ऑटो के दरवाजों से लटकते या पीछे झूलते नजर आते हैं।

पालक, स्कूल प्रबंधन और चालकों की लापरवाही से खतरे में मासूमों की जिंदगी
एक ओर ट्रैफिक पुलिस अनुशासन बनाए रखने के लिए लगातार चेकिंग कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों के बाहर सुरक्षा के नाम पर गंभीर लापरवाही देखने को मिल रही है।
न केवल ऑटो चालक बल्कि ई-रिक्शा चालक भी बच्चों को उनकी क्षमता से कई गुना अधिक लादकर स्कूल पहुंचा रहे हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि कई माता-पिता खुद अपने बच्चों को ओवरलोडेड ऑटो में बैठाकर रवाना करते हैं, बिना किसी आपत्ति के।
इसी लापरवाही के चलते चालकों का हौसला बढ़ता जा रहा है।

स्कूल प्रबंधन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
अधिकांश स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगे होने और बस सेवा उपलब्ध होने के बावजूद भी ऑटो और ई-रिक्शा से बच्चों को लाने-जाने की प्रवृत्ति बनी हुई है।
स्कूल प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा।
यह स्थिति न केवल बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डालती है, बल्कि भविष्य में बड़े हादसे का कारण भी बन सकती है।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने मानी पालकों और स्कूलों की जिम्मेदारी
इस पूरे मामले पर जब प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता से बात की गई, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि
“ओवरलोडिंग की समस्या में पालक और स्कूल दोनों समान रूप से जिम्मेदार हैं।
पालकों को ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे जिस ऑटो में जा रहे हैं, वह ओवरलोडेड तो नहीं है।
वहीं स्कूल मैनेजमेंट को भी यह देखना चाहिए कि उनके स्कूल के बाहर कौन से ऑटो बच्चों को लेकर जा रहे हैं और क्या वे नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं।”

राजीव गुप्ता ने यह भी बताया कि कई बार मीटिंग में यह प्रस्ताव रखा गया है कि
ई-रिक्शा से बच्चों को लाने-ले जाने की अनुमति न दी जाए, क्योंकि यह वाहन बेहद अस्थिर होता है और आसानी से पलट सकता है।
उन्होंने कहा कि “बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। पालकों को अपने बच्चों की निगरानी करनी चाहिए और नाबालिग बच्चों को वाहन चलाने से रोकना चाहिए।”
नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना भी बन रहा खतरा
शहर के कुछ स्कूलों के बाहर यह भी देखा गया है कि नाबालिग बच्चे बिना लाइसेंस के दोपहिया वाहन चला कर स्कूल आते हैं। यह न केवल ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन है, बल्कि उनकी और दूसरों की जान के लिए भी खतरा है।
स्कूल प्रशासन का कहना है कि परिसर में ऐसे वाहनों को पार्किंग की अनुमति नहीं दी जाती, लेकिन अभिभावकों को भी इस दिशा में सजग रहना जरूरी है।
ट्रैफिक एसएसपी प्रशांत शुक्ला ने दी कार्रवाई की चेतावनी
इस संबंध में जब ट्रैफिक एसएसपी प्रशांत शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस मामले की जानकारी “जनधारा टीम” के माध्यम से मिली है।
उन्होंने कहा कि
“आने वाले दिनों में स्कूलों के बाहर विशेष चेकिंग अभियान चलाया जाएगा।
जो भी ऑटो चालक या ई-रिक्शा चालक ओवरलोडिंग करते पाए जाएंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही नाबालिग चालकों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।”

हालांकि, यह सवाल अब भी बरकरार है कि आखिर कब तक प्रशासन सिर्फ आश्वासन देता रहेगा और बच्चों की जान जोखिम में पड़ती रहेगी?
राजधानी रायपुर में बढ़ती ओवरलोडिंग की घटनाएं और नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने की प्रवृत्ति शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
जरूरत है कि पालक, स्कूल प्रबंधन और प्रशासन — तीनों अपनी जिम्मेदारी समझें और समय रहते कदम उठाएं,
ताकि किसी मासूम की जिंदगी लापरवाही की भेंट न चढ़े।
