जनसुनवाई से पहले ही काट डाले 5 हजार पेड़… गोदावरी इस्पात कंपनी की जनसुनवाई का आदिवासी समाज करेगा विरोध

जनसुनवाई से पहले ही काटे गए हजारों पेड़

सरपंच रमल कोरम ने बताया कि कंपनी ने जनसुनवाई से पहले ही 5000 से अधिक पेड़ कटवा दिए, जो कि पूरी तरह गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि यह कृत्य स्थानीय आदिवासी समुदाय की भावनाओं और पर्यावरण दोनों के साथ खिलवाड़ है।

“कानून की धज्जियाँ उड़ा रही कंपनी”

कोरम ने कहा कि बस्तर संभाग पांचवीं अनुसूची के तहत संरक्षित क्षेत्र है, जहाँ पेसा कानून और वनाधिकार कानून लागू हैं। इसके बावजूद गोदावरी इस्पात कंपनी इन सभी संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी कर खनिज संपदा की लूट में लगी हुई है।

उन्होंने कहा कि कंपनी द्वारा आदिवासी भूमि और जंगलों पर कब्जे की कोशिश की जा रही है, जो संविधान और कानून दोनों के खिलाफ है।

“जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रहेगा”

रमल कोरम ने कहा कि चाहे सरगुजा हो या बस्तर, आदिवासी समाज हमेशा से जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए संघर्षरत रहा है। अब कांकेर जिले में भी यही लड़ाई जारी रहेगी।

उन्होंने कहा, “कंपनी की मंशा लूट और दादागिरी की है। हम आदिवासी समाज इस षड्यंत्र को भांप चुके हैं और इसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे।”

13 नवम्बर को जनसुनवाई में होगा जबरदस्त विरोध

रमल कोरम ने घोषणा की कि 13 नवम्बर को प्रस्तावित जनसुनवाई के दौरान आदिवासी समाज व्यापक विरोध प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि यह जनसुनवाई सिर्फ दिखावा है, जबकि कंपनी पहले से ही क्षेत्र में अवैध गतिविधियाँ कर रही है।

उन्होंने क्षेत्र की जनता से अपील की कि वे बड़ी संख्या में उपस्थित होकर अपनी आवाज़ बुलंद करें और अपने जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए एकजुट हों।

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