छत्तीसगढ़ पिछले पांच वर्षों में सौर ऊर्जा अपनाने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के गांवों में सोलर ऊर्जा से बिजली पहुंचने से जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। राज्य अब थर्मल पावर प्लांटों पर निर्भरता कम कर सूर्य की किरणों से शहरों और गांवों को रोशन कर रहा है। छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) गांवों तक बिजली पहुंचाने के लिए पूर्ण प्रयासरत है। क्रेडा नवा रायपुर को प्रदेश की पहली सोलर सिटी बनाने की तैयारी कर रहा है, जिसमें सरकारी भवन, स्टेडियम और रेलवे स्टेशन सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। राज्य धीरे-धीरे सोलर हब बनने की ओर अग्रसर है।
सोलर इंफ्रास्ट्रक्चर से बदलती तस्वीर
सोलर पावर प्लांट, सोलर पंप, सोलर हाईमास्ट और ऑफग्रिड सोलर प्लांट के माध्यम से शहरों से गांवों तक की तस्वीर बदल रही है। सौर ऊर्जा पर कार्य पिछले 25 वर्षों से जारी है और अब बेहतर परिणाम दिखाई दे रहे हैं। नवा रायपुर को सोलर सिटी बनाने की तैयारी प्रारंभ हो चुकी है। सरकारी भवनों में 10 मेगावाट क्षमता के ग्रिड कनेक्टेड सौर संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 160 लाख यूनिट बिजली उत्पादन का अनुमान है। इससे बिजली बिल का बोझ कम होगा। क्रिकेट स्टेडियम और रेलवे स्टेशन भी सौर ऊर्जा से रोशन किए जाएंगे। हाल के वर्षों में राज्य में सोलर पावर प्लांटों की स्थापना तेजी से हुई है।
ऊर्जा शिक्षा उद्यान नेट जीरो की ओर
राज्य के ऊर्जा शिक्षा उद्यानों में सोलर प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। वर्तमान में रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगांव, कबीरधाम, बस्तर, कोटमीसोनार और पाटन के सात उद्यानों में 98 किलोवाट क्षमता के सोलर प्लांट कार्यरत हैं। भारत सरकार के नेट जीरो मिशन के तहत सभी उद्यानों की विद्युत खपत को ऑनग्रिड सोलर पावर प्लांट से नेट जीरो करने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
राजनांदगांव में देश का पहला बैटरी स्टोरेज सोलर प्लांट
राजनांदगांव में देश का प्रथम बैटरी स्टोरेज सोलर प्लांट स्थापित है, जहां से पावर कंपनी दैनिक बिजली प्राप्त कर रही है। इसकी मुख्य विशेषता उच्च क्षमता वाली बैटरी स्टोरेज है। प्लांट नौ गांवों में फैला है और इस पर 900 करोड़ रुपये व्यय हुए हैं। बैटरी में संग्रहित बिजली से तीन घंटे तक निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती है।