लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का दूसरा दिन आज खरना के रूप में मनाया जा रहा है। नहाय-खाय के बाद व्रती आज पूरे दिन निर्जला उपवास रखेंगे और शाम के समय छठी मैया को भोग अर्पित कर प्रसाद ग्रहण करेंगे। खरना का अर्थ शुद्धता होता है, इसलिए इस दिन पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है ताकि पूजा में कोई बाधा न आए।
खरना के दिन मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ियों से प्रसाद बनाया जाता है। इससे प्रसाद की पवित्रता बनी रहती है। पूरे दिन व्रत रखने के बाद व्रती शाम को देवी-देवताओं और छठी मैया को भोग लगाकर पूजा संपन्न करते हैं, जिसके बाद परिवार के सदस्य प्रसाद ग्रहण करते हैं।
खरना के दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की परंपरा है। पूजा सामग्री को गंदे हाथों से छूना वर्जित माना गया है। सभी वस्तुएं नहाने या हाथ धोने के बाद ही छूनी चाहिए। यदि गलती से कोई वस्तु अपवित्र हो जाए तो उसे पूजा में प्रयोग नहीं किया जाता। प्रसाद बनाने की जगह पूरी तरह साफ-सुथरी होनी चाहिए। व्रती और परिवारजन सूर्य देव तथा छठी मैया को भोग अर्पित करने के बाद ही भोजन करते हैं। प्रसाद में केवल सेंधा नमक का ही प्रयोग किया जाता है।
खरना पूजा की शुरुआत सुबह घर की सफाई और स्नान के बाद की जाती है। शाम को पुनः स्नान कर व्रती आम की लकड़ियों से प्रसाद बनाते हैं। भोग अर्पण के पश्चात व्रती कुछ समय तक छठी मैया का ध्यान करते हैं और पूजा संपन्न होती है।