रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज दुर्ग जिले के दौरे पर रहेंगे। वे दोपहर 12:30 बजे मुख्यमंत्री निवास से रवाना होकर ग्राम मेड़ेसरा में आयोजित पंडवानी महासम्मेलन के समापन कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री शाम 4 बजे वापस रायपुर लौटेंगे।
इसी बीच, मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। वित्त विभाग ने 5000 शिक्षकों के पदों पर भर्ती की सहमति प्रदान कर दी है। यह निर्णय मुख्यमंत्री साय की उस घोषणा के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने प्रदेश के शैक्षणिक ढांचे को मज़बूत बनाने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि शिक्षा किसी भी राज्य की प्रगति की नींव होती है और छत्तीसगढ़ सरकार का लक्ष्य है कि हर बच्चे तक ज्ञान और अवसर दोनों पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह भर्ती न केवल शिक्षण व्यवस्था को गति देगी, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेगी।
मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग की सहमति को ‘नए छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में ऐतिहासिक कदम’ बताया। शिक्षा विभाग जल्द ही इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगा। इससे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी काफी हद तक दूर होगी, जिससे शिक्षण की निरंतरता और गुणवत्ता में सुधार होगा।
राज्य शासन ने हाल के महीनों में शिक्षा सुधार को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। विद्यालय भवनों के निर्माण, डिजिटल सामग्री के विस्तार और शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है।
कई ग्रामीण क्षेत्रों में विषयवार शिक्षकों की कमी एक बड़ी चुनौती रही है। नई भर्ती से इन क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी और बच्चों को अपने ही गांवों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में सरकार शिक्षा को सर्वांगीण विकास का आधार मानते हुए लगातार निवेश कर रही है। विद्यालयों के आधुनिकीकरण से लेकर छात्रवृत्ति और मध्याह्न भोजन जैसी योजनाओं तक, सरकार का ध्यान हर स्तर पर शिक्षा के दायरे को व्यापक बनाने पर केंद्रित है।
यह निर्णय ‘शिक्षित, सक्षम और आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़’ के विज़न को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे न केवल प्रदेश की शिक्षा प्रणाली को नई ऊर्जा मिलेगी, बल्कि हजारों युवाओं के लिए रोजगार का मार्ग भी प्रशस्त होगा।