केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भगवान अयप्पा के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। वह इस पवित्र स्थल पर पूजा करने वाली देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं। इससे पहले, 1970 के दशक में पूर्व राष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने सबरीमाला के दर्शन किए थे, जो डोली के माध्यम से मंदिर तक पहुंचे थे।

राष्ट्रपति मुर्मु विशेष काफिले के साथ सुबह करीब 11 बजे पंबा पहुंचीं। उन्होंने पहले पंबा नदी के पवित्र जल से अपने पैर धोए और फिर भगवान गणपति मंदिर समेत आसपास के मंदिरों में पूजा की। इसके बाद मंदिर के मुख्य पुजारी विष्णु नंबूदरी ने ‘केट्टुनिरा मंडपम’ में पारंपरिक विधि से उनकी ‘इरुमुदिकेट्टू’ (पवित्र पोटली) तैयार की।

जिला प्रशासन के अनुसार, राष्ट्रपति के साथ उनके एडीसी सौरभ एस. नायर, पीएसओ विनय माथुर और दामाद गणेश चंद्र होम्ब्रम को भी पवित्र पोटली दी गई।
इसके पश्चात राष्ट्रपति ने पत्थर की दीवार पर नारियल फेंककर परंपरागत रीति निभाई और सिर पर पवित्र गठरी रखकर विशेष वाहन से 4.5 किलोमीटर लंबे स्वामी अय्यप्पन मार्ग से होते हुए सन्निधानम पहुंचीं।

मंदिर परिसर पहुंचकर राष्ट्रपति मुर्मू ने 18 पवित्र सीढ़ियां (पथिनेट्टम्पडी) चढ़ीं, जहां केरल के देवस्वओम मंत्री वी.एन. वासवन और त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) के अध्यक्ष पी.एस. प्रशांत ने उनका स्वागत किया। मंदिर के तंत्री कंदारारू महेश मोहनारू ने ‘पूर्ण कुंभ’ के साथ पारंपरिक स्वागत किया।

मंदिर में राष्ट्रपति ने सिर पर पवित्र गठरी रखकर भगवान अयप्पा के दर्शन किए। इसके बाद उन्होंने अपनी पवित्र पोटली मंदिर की सीढ़ियों पर रखी, जिसे मेलशंती पूजा के लिए ले गए। दर्शन के उपरांत राष्ट्रपति ने मलिकप्पुरम और आसपास के मंदिरों में भी पूजा-अर्चना की।

पूजा के बाद राष्ट्रपति टीडीबी गेस्टहाउस पहुंचीं, जहां उन्होंने दोपहर का भोजन किया और कुछ समय विश्राम किया। उनके दौरे के दौरान सुरक्षा कारणों से श्रद्धालुओं के दर्शन पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगाया गया था।