
श्री आचार्य विनोद झा वैदिक ने बताया लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त और पाँच दिवसीय पर्व का संपूर्ण कैलेंडर
संशय दूर, ज्योतिषीय गणना से तय – २० अक्टूबर, सोमवार को है महालक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय
दीपावली की तिथि को लेकर बना संशय अब दूर हो गया है। कथावाचक श्री आचार्य विनोद झा वैदिक ने धर्मग्रंथों के सूक्ष्म विश्लेषण के आधार पर बताया कि इस वर्ष दीपावली का महापर्व २० अक्टूबर (सोमवार) को ही मनाना शास्त्रसम्मत एवं अत्यंत लाभकारी होगा। अमावस्या तिथि और प्रदोष काल के योग से यह तिथि विशेष फलदायी है। आचार्य श्री ने पाँच दिवसीय महापर्व का संपूर्ण कैलेंडर और लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त भी जारी किया है।
धनतेरस: १८ अक्टूबर (शनिवार) को शनि प्रदोष का शुभ संयोग
दीपावली पर्व का शुभारंभ १८ अक्टूबर, शनिवार को धनतेरस (त्रयोदशी) से होगा, जो शनि प्रदोष के शुभ संयोग से युक्त है। यह दिन भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी के पूजन, साथ ही सामग्री, वर्तन, धातु, रत्न आदि खरीदने के लिए सर्वश्रेष्ठ है। सूर्यास्त के पश्चात घर के द्वार पर सरसों के तेल में चतुर्मुख यम दीप दान अवश्य करें, जिससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
हनुमान अवतरण दिवस: १९ अक्टूबर, रविवार
१९ अक्टूबर, रविवार को सायं काल मेष लग्न में ०५:३९ से ०७:१६ के बीच श्री हनुमान अवतरण दिवस मनाया जाएगा। इस शुभ मुहूर्त में पवनपुत्र हनुमान का पूजन विशेष फलदायक होगा।
दीपावली (लक्ष्मी पूजन): २० अक्टूबर, सोमवार
महालक्ष्मी पूजन के लिए २० अक्टूबर, सोमवार का दिन ही श्रेष्ठ है। आचार्य श्री विनोद झा वैदिक के अनुसार, लक्ष्मी पूजन के लिए स्थिर लग्न और प्रदोष काल का योग सबसे महत्वपूर्ण है। इस दिन लक्ष्मी पूजन के लिए तीन प्रमुख शुभ मुहूर्त हैं:
कुम्भ लग्न (दिन में): अपराह्न ०२:३६ मिनट से ०४:०७ मिनट तक।
वृष लग्न (संध्या/रात्रि में): रात्रि ०७:१२ मिनट से ०९:०८ मिनट तक। (यह लक्ष्मी पूजन का मुख्य और सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है, क्योंकि इसमें स्थिर वृष लग्न एवं प्रदोष काल का सुंदर योग है।)
सिंह लग्न (मध्यरात्रि): रात्रि ०१:४० से ०३:५४ तक।
ज्योतिष शास्त्रियों का मानना है कि प्रदोष काल में स्थिर लग्न के संयोग में किया गया लक्ष्मी पूजन घर में स्थाई सुख-समृद्धि और वैभव लाता है।
आचार्य श्री ने सभी सनातन धर्म प्रेमियों से आग्रह किया है कि वे शास्त्रों के मत का पालन करते हुए २० अक्टूबर को ही दीपावली का महापर्व मनाएं और शुभ मुहूर्तों में लक्ष्मी पूजन कर माता महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करें।