समाज मे सहभागिता , सज्जन शक्ति व समरसता ही RSS का उद्देश्य

आरएसएस का विजया दशमी उत्सव व पथ संचालन उत्साह पूर्वक सपन्न

विशाल सभा को संबोधित करते हुवे घनश्याम सोनी ने कहा कि विजया दशमी के दिंन शस्त्र पूजन की परम्परा तब से प्रारम्भ हुई जब पांडव एक वर्ष का वनवास व्यतीत कर वापस इसी दिंन वापस आकर अपने शस्त्रों की पूजा की थी । यह आयोजन बस्तर मे 75 दिनों तक मनाया जाता है । आसपास के सभी राज्यो के देवी देवताओ की पूजा की जाती है ।आरएसएस का मुख्य सिंद्धान्त समाज को बगैर जाति व धर्म के जातिविहीन समाज का निर्माण करना है । समाज को संगठित करके ही हम देश व समाज को सुरक्षित रख सकते हैं । व्यक्ति निर्माण के साथ हमे राष्ट्र निर्माण भी करना होता है ।पंच तंत्र से जैसे स्वदेशी , समाज , राष्ट्र व पर्यावरण से राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण ही संभव है.


इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रकाश मिश्रा ( अध्यक्ष उत्कल ब्राम्हण समाज सरायपाली ) ने अपने संक्षिप्त उदबोधन में कहा कि 27 सितम्बर 1925 को डा. केशव बलिराम हेगड़े‌द्वार द्वारा 5 सदस्यों से स्थापित, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ आज वट वृक्ष बन चुका है । लगभग 55000 शाखाओं एवं 80 देशों में विस्तारित हो चुका है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – प्रवुद्ध वर्ग, जिनके लिए राष्ट्र प्रथम सर्वोपरी है , उनका धर्म है- सत्य, करुणा सूचिता पर आधारित है।

RSS का राष्ट्र के लिए अवदान को विस्मृत नहीं किया जा सकता- चाहे दादरा, नगर हवेली, गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त’देश में प्राकृतिक विपदाओं में राहत और मानवता की सेवा के लिए तत्पर रहने के बचाव कार्य में अग्रपंक्ति में रहकर पीड़ित व मानवता की सेवा के लिए हमेशा अग्रणी संस्था है ।

आज से लगभग 35 वर्ष पहले श्री शंकर लाल साहू गुरुजी, जो संघ पृष्ठ भूमि से आते है जिनके निष्ठा लगन के सामने प्रशासन को भी झुकना पड़ा था, और शिवालय और तालाब निर्माण का सपना पूरा हुआ था,धन्य व नमन है ऐसे संघ शक्ति को।

मेरे विचार से स्वाधीन भारत के 70 वर्ष के इतिहास के पाठ्यक्रम को देखा जाय तो लगता है कि मुगल शासको का शौर्यगाथा का वर्णन हुआ था. अकबर महान, सिकदर महान आदि । हमारे डेज़ह7 के महान हिन्दू राजाओं , योद्धाओं महान पराक्रमी शूर वीरों के इतिहास को दबाया गया व छिपाया गया है। हमारे महान हिन्दू शूर वीरों का स्थान सुनिश्चित करने हेतु संघ से अपेक्षा है कि वे इस दिशा पर भी कार्य करे
कार्यक्रम का शुभारंभ मां भारती के तैल चित्र पर पुष्पहार व दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया । पश्चात ध्वजारोहण कर प्रार्थना की गई ।
जिसजे पश्चात नगर में पथ संचालन किया गया । इस पथ संचालन के नगर के अनेक समाज प्रमुखों व नगरवासियो द्वारा पुष्पों जे माध्यम से स्वागत किया गया

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