मेडिकल बिल घोटाला… शिक्षक साधेलाल पटेल निलंबित..30 लाख की फर्जी प्रतिपूर्ति… FIR के आदेश

जांच में यह खुलासा हुआ कि साधेलाल पटेल ने अपने नाम पर ₹7,73,564 का मेडिकल बिल स्वीकृत कराया, जबकि वास्तविक देयक केवल ₹77,000 का था। इसी तरह, सहायक शिक्षक उमाशंकर चौधरी के नाम पर ₹5,42,535 का बिल लगाया गया, जबकि असली बिल ₹1,43,000 का था।

इतना ही नहीं, पत्नी राजकुमारी पटेल, जो वर्तमान में प्रधान पाठक के पद पर कार्यरत हैं, के नाम से ₹4,03,327 का बिल स्वीकृत कराया गया, जबकि वास्तविक खर्च केवल ₹47,000 था। जांच में यह भी पाया गया कि कई मामलों में बिलों की रकम में हेरफेर कर ₹33,123 को ₹5,33,123 बना दिया गया था।

संयुक्त संचालक आर.पी. आदित्य ने मामले की गंभीरता को देखते हुए डीईओ और बीईओ कार्यालय की भूमिका को भी संदिग्ध बताया है। उन्होंने तत्कालीन विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ), बिल्हा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि बीईओ कार्यालय में चिकित्सा प्रतिपूर्ति देयकों में कुटरचना कर शासकीय धन का गबन किया गया है।

साथ ही राजकुमारी पटेल को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन पर फर्जी हस्ताक्षर और स्टाम्प लगाकर दस्तावेजों में हेरफेर करने का आरोप है। उन्हें 9 अक्टूबर तक अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए तलब किया गया है।

निलंबन आदेश छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के तहत जारी किया गया है। निलंबन अवधि के दौरान साधेलाल पटेल का मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, तखतपुर निर्धारित किया गया है, और उन्हें केवल जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा।

इस पूरे घोटाले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी धन के इस तरह के दुरुपयोग से न केवल प्रशासन की साख पर आंच आई है, बल्कि यह भी सवाल उठ खड़ा हुआ है कि ऐसी फर्जी स्वीकृतियों को मंजूरी देने वाले अधिकारी अब जांच के घेरे में कब आएंगे

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि एफआईआर दर्ज होने के बाद आगे की कार्रवाई कितनी तेजी से होती है

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