नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी डॉ. गीतांजलि जे. अंगमो की हेबियस कॉर्पस याचिका पर केंद्र सरकार, लद्दाख प्रशासन और राजस्थान सरकार को नोटिस भेजा। अदालत ने वांगचुक की हिरासत के आधारों की प्रति उनकी पत्नी को न दिए जाने पर सवाल उठाए। मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने वांगचुक की ओर से पेश होते हुए कहा कि हिरासत के आधारों की प्रति न मिलने तक बहस संभव नहीं। उन्होंने बोर्ड के समक्ष प्रतिनिधित्व दाखिल करने के लिए प्रति की जरूरत बताई। साथ ही पत्नी से मिलने की अनुमति और दवाइयां व कपड़े जैसी आवश्यक वस्तुओं की मांग की। सिब्बल ने उल्लेख किया कि गिरफ्तारी से पहले वांगचुक उपवास पर थे, जिससे उनके स्वास्थ्य को खतरा है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नोटिस स्वीकार करते हुए कहा कि हिरासत के आधारों की प्रति डिटेन्यू को दे दी गई है और उनके भाई से इंटरकॉम पर बात हुई। उन्होंने पत्नी से मिलने की अनुमति का आश्वासन दिया, लेकिन हाइप न फैलाने की चेतावनी दी। सिब्बल ने इस दावे का विरोध किया और स्पष्ट किया कि कोई प्रति नहीं मिली। भाई डिटेंशन सेंटर में मिले थे, लेकिन इंटरकॉम के जरिए ही बात हुई। पारिवारिक सदस्यों को आधारों की प्रति मिलनी चाहिए ताकि बोर्ड में चुनौती दी जा सके।
कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि पत्नी को प्रति देने में क्या दिक्कत है। मेहता ने जवाब दिया कि कानून के मुताबिक डिटेन्यू को प्रति देना अनिवार्य है, जो हो चुका। परिवार को देकर नए आधार न दिए जाएं कि सेवा नहीं दी गई। अदालत ने सरकार को हिरासत में चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से पूछा कि हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। सिब्बल ने स्पष्ट किया कि डिटेंशन ऑर्डर केंद्र ने जारी किया है, तो किस हाईकोर्ट में जाएं। कोर्ट ने कहा कि इस चरण पर कुछ टिप्पणी नहीं करेंगे। मंगलवार को सुनवाई होगी।