:अनूप वर्मा:
चारामा: भव्य संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का आरंभ आंवरी में 4 अक्टूबर से हो गया.
द्वितीय दिन कथावाचक आचार्य पंडित रामानुज युवराज पाण्डेय के द्वारा श्री मद भागवत कथा के
महत्व को सुन्दर कथा और भजनो के माध्यम से बताया। श्री मद भागवत कथा कराने
और सुनने से मानव जीवन के सभी पाप ख़त्म होते हैं,भागवत कथा कोई सज्जन कराये
या दुर्जन सबको बराबर फल मिलता हैं.
कथावाचक आचार्य पंडित रामानुज युवराज पाण्डेय ने कहा कि इस कलियुग में सबके पास सभी पुण्य तीर्थं के दर्शन करने की ताकत नहीं हैं, इसलिए भागवत कथा सुनना सभी तीर्थं से ऊपर हैं।उन्होंने मानव की साँसो पर कथा बताते हुए कहा की मानव का सबसे बड़ा साथी उसकी सांस हैं, क्योंकि जब तक शरीर में सांस हैं.

तभी तक मानव जीवन में रिश्ते नाते हैं, लेकिन जिस दिन ये सांस शरीर से बाहर निकाल. जाएगी, आपके सभी रिश्ते नाते ख़त्म हो जायेगा, इसलिए इस जीवन में मनुष्य का सच्चा साथी उसकी सांस हैं।
उन्होंने 04 वेद, 18 पुराणों, अमर कथा का सुन्दर वर्णन किया, भगवान और संतो के आशीर्वाद कभी खाली नहीं जाते, इसलिए उनकी सेवा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करें,भोजन के बारे में बताता हुए कहा की भोजन सिर्फ दो जगह ही करना चाहिए.

जहाँ भोजन बनाने वाले का मन पवित्र हो और दुसरा जहाँ भोजन का स्थान निर्मल हो, वही हमेश सात्विक भोजन ही करना चाहिए, आगे कथा में उन्होंने भगवान भोलेनाथ पर कथा बताते हुए कहा की भोलेनाथ बोहत भोले हैं, जितने जल्दी वे क्रोध होते हैं. उतने जल्दी ही वे शांत हो जाते हैं. भगवान भाव के भूखे हैं, जिनका मन पवित्र और निर्मल होता हैं, भगवान की कृपा उन पर हमेशा बानी रहती हैं,