:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली :- रूद्रेश्वरी मंदिर, सिंघोड़ा में विश्व हिन्दू परिषद की दुर्गा वाहिनी
एवं मातृ शक्ति इकाई द्वारा शस्त्र पूजन किया गया। यह आयोजन परंपरा,
संस्कृति और धर्म की मर्यादा को संजोने वाला रहा। मुख्य पूजन का कार्य रूद्रेश्वरी मंदिर
के मुख्य पीठाधीश्वर पंडित कस्तूबो मिश्रा द्वारा विधि-विधान से सम्पन्न कराया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की रूपरेखा व संयोजन जिला संयोजिका श्रीमती अनीता चौधरी द्वारा की गई। प्रखंड संयोजिका श्रीमती नमिता साहू एवं श्रीमती डॉली मिश्रा* का सक्रिय योगदान रहा। उपाध्यक्ष डिम्पल पटेल और बसना उपाध्यक्ष श्रीमती सविता वर्मन ने पूरे आयोजन में विशेष जिम्मेदारी संभाली और सामूहिक सहयोग से पूजन को गरिमामय स्वरूप दिया।

शस्त्र पूजन कार्यक्रम में जिला महामंत्री बसंत देवता, प्रखंड अध्यक्ष महेन्द्र नायक की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। मीडिया प्रभारी जगदीश पटेल, नगर अध्यक्ष गुड्डू जायसवाल, नगर मंत्री विकास महापात्र, मयंक पाणिग्रही, डॉक्टर भागेस्वर पटेल और नरेंद्र मांझी समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने इस कार्यक्रम में अपनी भागीदारी निभाई । सभी ने मिलकर इस आयोजन को सफल और प्रेरणादायी रूप दिया।
इस अवसर पर जिला संयोजिका अनिता चौधरी ने कहा कि शस्त्र पूजन केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि यह समाज में आत्मबल, संगठन और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। दुर्गा वाहिनी और मातृ शक्ति जैसे संगठन मातृशक्ति की ऊर्जा को समाज सेवा और राष्ट्र रक्षा की दिशा में प्रेरित करते हैं। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि शस्त्र पूजन का उद्देश्य केवल पूजा नहीं, बल्कि अपनी परंपरा और संस्कृति की रक्षा के संकल्प को दोहराना है।

पूरे आयोजन के दौरान वातावरण में श्रद्धा, उत्साह और भक्ति का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। मंदिर परिसर में उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं ने शस्त्र पूजन में भाग लेकर धर्म, संस्कृति और संगठन के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की।
इस मौके पर स्थानीय नागरिकों ने भी विशेष रुचि दिखाई और कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया। आयोजन के अंत में सामूहिक संकल्प लिया गया कि समाज और संगठन के उत्थान हेतु सब एकजुट होकर कार्य करेंगे। मंदिर समिति के चंद्रहास पंडा, आकाश दास ,राजेश त्रिपाठी , सत्यनारायण साहू सुधीर साहू , आलेख भोई एवं अन्य समिति सदस्यों उपस्थित रहे।
रूद्रेश्वरी मंदिर, सिंघोड़ा में सम्पन्न शस्त्र पूजन कार्यक्रम ने न केवल धर्म और संस्कृति की गरिमा को बढ़ाया, बल्कि समाज में संगठन और मातृशक्ति के महत्व को भी उजागर किया।