:रामनारायण गौतम:
सक्ती, श्रीमद् देवी भागवत कथा में व्यास पीठ से देव कृष्ण महाराज ने कथा के
छठवें दिन बताया मां जगदंबा आदिशक्ति अनंत कृपालु है अपने भक्तों के
हर दुख को हरती है जो व्यक्ति श्रद्धा भाव से नवरात्रि में 9 दिन मां जगदंबा का आराधना
करते हैं उन्हें 9वें दिन सिद्धि के रूप में सिद्धिदात्री उन्हें वरदान देती है.

ग्राम पंचायत टेमर में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा में देवेंद्रं महराज ने भक्तगणों को मां जगदंबा का कथा श्रवण कराते हुए बताया चंड मुंड वध की कथा देवी महात्म्य के अनुरूप ही है, जिसमें बताया गया है कि राक्षस शुंभ-निशुंभ ने जब देवताओं को परास्त कर पृथ्वी पर अत्याचार किया, तो मां दुर्गा की आँखों से क्रोध की ज्वाला निकली,
जिससे महाकाली का प्राकट्य हुआ. महाकाली ने चंड का वध किया, और मुंड को भाले से मार गिराया. इस वध के कारण ही देवी को चामुंडा के नाम से जाना गया. जब जब इस धरती पर ऋषि मुनि महात्माओं पर राक्षसों का अत्याचार होता है तब तब धरती का भार उतारने के लिए मां जगदंबा भगवान अवतरित होते हैं
महराज ने बताया असुरराज शुंभ और निशुंभ ने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य जमा लिया था और देवताओं को सताने लगे थे. तब,मां जगदंबा कौशिकी को राक्षसों के बढ़ते अत्याचार को देखकर क्रोध आया, तब उनकी आँखों से एक तीव्र ज्वाला निकली, जिससे महाकाली का अवतार हुआ.

और महाकाली ने युद्धभूमि में चंड के प्रहार को अपने एक हाथ से रोका, और दूसरे हाथ में अपनी तलवार से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. भाई चंड को मरता देख, मुंड ने देवी पर बाणों की वर्षा की, जिस पर देवी ने अपना भाला फेंका और उसका भी वध कर दिया.
तभी से चामुंडा नाम का उदय: चंड और मुंड के सिर लेकर जब महाकाली देवी अंबिका (दुर्गा) के पास पहुंचीं, तो देवी ने उन्हें कहा कि चंड और मुंड के वध के कारण अब संसार उन्हें चामुंडा के नाम से जानेगा . देवी भागवत कथा में प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में महिला पुरुष कथा श्रवण करने पहुंच रहे