:दुर्गानाथ देवांगन:
कोण्डागांव। एनएच 30 पर कलेक्टर बंगले के ठीक सामने लगा वाटर कूलर
बदहाली की तस्वीर बना खड़ा है। महीनों से बंद पड़ा यह कूलर अब केवल एक लोहे का ढांचा
बनकर रह गया है। आसपास उगी घास-फूस और जंग खाए नल इसकी दुर्दशा की
कहानी खुद कह रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि यह सब कलेक्टर बंगले के सामने
हो रहा है, फिर भी जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।
पास ही स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी और कॉलेज में प्रतिदिन सैकड़ों विद्यार्थी और आम नागरिक आते-जाते हैं। तेज धूप और उमस भरे मौसम में अगर यह कूलर चालू होता, तो राहगीरों और विद्यार्थियों को ठंडा और स्वच्छ पानी मिल पाता। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही ने इस सुविधा को शोपीस बना दिया है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि लाखों रुपये की लागत से लगाए गए इस वाटर कूलर की न तो समय पर मरम्मत करवाई गई, न ही नियमित देखरेख की कोई व्यवस्था की गई। यह सरकारी धन की खुली बर्बादी है।
‘अधिकारियों को दिखाई नहीं देता?’
स्थानीय निवासी हैरान हैं कि कलेक्टर बंगले के सामने इस कदर बदहाली हो, और फिर भी कोई संज्ञान न ले? यह सीधे तौर पर प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है। लोगों ने मांग की है कि इस वाटर कूलर को अविलंब चालू किया जाए, नियमित रखरखाव सुनिश्चित किया जाए और संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।