बस्तर, 22 सितंबर 2025: बस्तर दशहरा की प्रमुख परंपरा काछनगादी रविवार शाम सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इस साल की रस्म में 10 साल की बालिका पीहू दास पर काछन देवी सवार हुईं और परंपरा के अनुसार बस्तर राजपरिवार को दशहरा पर्व मनाने की अनुमति दी।

रस्म जगदलपुर के भंगाराम चौक स्थित काछनगुड़ी में आयोजित की गई। इस दौरान बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव सहित अन्य लोग भी उपस्थित रहे। काछन देवी ने पीहू दास पर सवार होकर बेल के कांटों से बने झूले पर झूलते हुए कमलचंद भंजदेव को फूल भेंट किए और दशहरा पर्व की सफलतापूर्वक समाप्ति का आशीर्वाद दिया।
करीब 617 साल पुरानी इस परंपरा के महत्व को साझा करते हुए कमलचंद भंजदेव ने बताया कि काछन और रैला माता राजघराने की बेटियां थीं, जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया था। तभी से उनकी आत्माएं इस स्थान पर पूजित हैं और हर साल पितृ पक्ष के अंतिम दिन यह रस्म निभाई जाती है।