जिले में सुना गया ‘दीदी के गोठ’… CEO ने बढ़ाया महिलाओं का उत्साह

इस सामुदायिक श्रवण में क्लस्टर से जुड़ी 29 ग्राम पंचायतों के महिला स्व सहायता समूहों की दीदियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। सामूहिक रूप से कार्यक्रम सुनने के बाद महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए और इस पहल को आत्मनिर्भरता की दिशा में उपयोगी बताया।

इस दौरान जिला पंचायत सीईओ श्री विनय कुमार अग्रवाल ने कहा कि शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाएं तभी सफल होंगी जब महिलाएं पूरी जिम्मेदारी से आगे बढ़कर उनमें भागीदारी सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि समूह की 4332 महिलाओं ने अपने स्वीकृत आवासों को पूर्ण करने के लिए 3.87 करोड़ रुपये का लोन लिया है। वहीं, 146 जनमन आवास के लिए 23.73 लाख रुपये का लोन लिया गया है।

उन्होंने जानकारी दी कि अब तक 397 ग्राम पंचायतों में 561 समूहों ने सेंट्रिंग प्लेट का कार्य शुरू किया है। इसके अलावा 18 जन-मन ग्राम पंचायतों में 18 समूहों ने सेंट्रिंग प्लेट का कार्य कर रहे हैं I सीईओ ने आगे बताया कि 9 सदस्य मिक्सर मशीन से आमदनी कमा रहे हैं और 14 नए मिक्सर मशीन स्वीकृत कर कार्य प्रारंभ कराया जा रहा है।

साथ ही 6 सदस्य सीमेंट, बालू और गिट्टी आदि के व्यवसाय से आय अर्जित कर रही हैं, जबकि 242 सदस्य ईंट निर्माण के कार्य से जुड़कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा इनको डीलर दीदी कहा जाता है I इन गतिविधियों के परिणामस्वरूप 470 महिलाएं ‘लखपति दीदी क्लब’ में शामिल हो चुकी हैं।

उन्होंने महिला समूहों को वूमेन लेड लोन योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि बैंक लिंकेज राशि का सही उपयोग करके महिलाएं बड़े स्तर पर रोजगारमूलक गतिविधियों को संचालित कर सकती हैं। उन्होंने महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि सेंट्रिग प्लेट, मिक्सर मशीन और अन्य स्थानीय मांग वाले व्यवसायों को अपनाकर महिलाएं अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकती हैं और लखपति दीदी बनने की दिशा में आगे बढ़ सकती हैं।

इस अवसर पर महिला समूहों की दीदियों ने भी अपने अनुभव साझा किए। कुछ महिलाओं ने बताया कि पहले वे केवल घरेलू कार्यों तक सीमित थीं, लेकिन बिहान योजना और स्व सहायता समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने बकरी पालन, मशरूम , सेंट्रिग प्लेट, गन्ना उत्पादन और गुड़ बनाने जैसे कार्यों से अपनी आजीविका का साधन बनाया है। कई महिलाएं अब हर महीने नियमित आय अर्जित कर रही हैं और परिवार की जरूरतें पूरा करने के साथ बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे पा रही हैं।

‘‘दीदी के गोठ”’ कार्यक्रम न केवल सूचना और प्रेरणा का माध्यम है, बल्कि यह महिलाओं को सामुदायिक रूप से संगठित होने और आपसी सहयोग से आगे बढ़ने की दिशा में भी सहायक है। सामूहिक श्रवण से महिला समूह की दीदियां एक-दूसरे के अनुभवों से सीख लेकर नई दिशा में कार्य करने का संकल्प लेती हैं।

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